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मासिक काव्य गोष्ठी आयोजित

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रिपोर्ट- शैलेन्द्र सिंह पटेल

मसौली, बाराबंकी। काव्य के पठन द्वारा पाठक या श्रोता के भाव का सामान्य भूमि पर पहुंच जाना साधारणीकरण कहलाता है। जो कवि अपने भाव को जितना अधिक अभिव्यक्ति दे पाता है, उतना सफल कवि हो जाता है।
उक्त उद्गार शिवगंगा साहित्य सेवा समिति मसौली के तत्वावधान में शिव गंगा मैरिज लाल में आयोजित मासिक काव्य गोष्ठी के तीसरे आयोजन में पधारे डॉक्टर बृज किशोर पांडेय ने कविता रचना प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा करते हुए व्यक्त किए।गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रदीप सारंग ने अवधी तथा खड़ी बोली के विभिन्न शब्द प्रयोगों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कलमकार अपनी कलम से ही सकारात्मक शक्तियों को पुष्ट बनाता है। यही सामाजिक बदलाव का आधार होता है। उन्होंने अपनी काव्यांजलि प्रस्तुत करते हुए पढ़ा- दूर है मंजिल समय बहुत कम, जोर लगा ले है जितना दम। मानव के अदम्य साहस ने बाधाओं को जीता हरदम।।डॉ. बलराम वर्मा ने पढ़ा -बारी आज मेरी कल तेरी विधि का यही विधान, नहीं अंतिम पड़ाव आसान। अशोक सोनी ने पढ़ा- आज दिशाएं पूछ रही हैं अर्जुन तेरा पुरुषार्थ कहां है, कहां गया गांडीव तुम्हारा पांचजन्य का नाद कहां है। रवि अवस्थी ने पढ़ा- मन में तो वेदना का बीज पलने दो मित्र, पीड़ा बंधु हो चेतना के अर्थ को बताती है। कर्मयुद्ध जीवन है लड़ना तुम्हें है पार्थ, वासुदेव देते ज्ञान गीता यही गाती है। मनमोहन निगम ‘साहिल’ ने पढ़ा- साथी तेरी राह अकेली घनघोर गिरा है अंधेरा, क्या अर्पित कर दूं तुझको जो तुझको मिले सवेरा। सोहन आजाद ने पढ़ा-थाम कर हाथ में हाथ चलो, लंबा है ये सफर मेरे साथ चलो। राजकुमार सोनी ‘राज’ ने पढ़ा- जन्म दिया और पाला पोसा अपना दूध पिलाया मां,कोख में रखकर खून से सींचा कितना कष्ट उठाया मां। नागेंद्र सिंह ने पढ़ा- कामचोर नमक हरामन के सब ठउर जहां द्याखौ तहां पे जुगाड़ काम करि जाय। राम किसुन यादव ने पढ़ा- अरहर, जोनहर सूखी सब खेतिया,धूल उठेला नदिया की रेतिया। प्रदीप महाजन ने पढ़ा-सुरपुर प्रवेश का प्रथम द्वार छः ऋतुएं ललित ललाम जहां,मैं उस प्रदेश में जन्मा हूं अवतरित हुए श्री राम जहां। कुमार पुष्पेंद्र ने पढ़ा-स्वर्णिम गाथा के पन्नों पर मैं श्रद्धा सुमन चढ़ाता हूं, हे वीर महाराणा प्रताप चरणों में शीश झुकाता हूं।
सर्व सम्मति से अगली मासिक काव्य गोष्ठी का विषय “गोस्वामी तुलसीदास” रखा गया। गोष्ठी का आरंभ भगवान दास वर्मा की वाणी वंदना से हुआ।
इस अवसर पर वीणा सुधाकर ओझा महाविद्यालय के शैक्षिक समन्वयक दिनेश सिंह, तुला सिंह,रमेश चंद्र रावत, विश्राम लाल आदि गणमान्य उपस्थित रहे। राजकुमार सोनी ने सभी के प्रति आभार एवं संचालन रवि अवस्थी ने किया।

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