विद्यालय में बिना इजाजत नहीं कर सकते प्रवेश पत्रकार- दिव्या
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रिपोर्ट- शैलेंद्र सिंह पटेल

रामनगर, बाराबंकी। विकासखंड सूरतगंज के प्राथमिक विद्यालय मोहड़वा के एक प्राथमिक विद्यालय की प्रभारी ने कवरेज करने गए पत्रकार से रौब झाड़ते हुए कहां की हमारी इजाजत के बिना विद्यालय परिसर में प्रवेश नहीं कर सकते नहीं तो फोन तोड़ दिया जाएगा इससे पहले भी एक पत्रकार का फोन थोड़ा जा चुका है शायद उसके बारे में तुमको पता नहीं है।शिक्षा के मंदिर की प्रभारी शिक्षिका जब पत्रकार के नाम से आग बबूला होकर दबंगई करने पर उतारा हो जाय तो चोर के दाढ़ी मे तिनका वाली कहावत चरितार्थ होने के साथ वहा के शैक्षिक वातावरण और शैक्षिक दायित्वो के ऊपर सवाल उठना लाजिमी है।एक तरफ योगी सरकार प्रदेश के प्राथमिक और मैटि्क विद्मालयो के ऊपर भारी भरकम धनराशि खर्च कर उनका काया कल्प करने की ओर तीव्र गति से अपना अभियान चला रही है।तो दूसरी तरफ ऐसे शिक्षक शिक्षिकाये भी देखने सुनने को मिल रहे है।जो येन केन प्रकारेण किसी तरह शैक्षिक कार्य से बचने की कवायद मे रहकर केवल पगार प्राप्त करना ही उनका एक मात्र उद्वेश्य है।वह भी तब जब हजार पन्द्रह सौ रुपये केवल उन्हे विद्मालय आने जाने मे कार के ऊपर डीजल प्रेटो्ल पर व्यय करने पड़ते हो।जिससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.कि यह मैडम जी अपने दायितवो के प्रति कितना सजग है।ज्ञात हो कि प्रदेश सरकार की ओर से राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के अवसर पर जिले के सभी प्राथमिक विद्मालयो और आंगनवाड़ी केन्द्रो पर बुधवार को व्यवस्थित ढंग से बच्चो मे एल्बेंडाजोल का वितरण कर उसे खिलाने का अभियान चलाया गया।शासन प्रशासन से मिले दिशा निर्देशो के बाबत उसकी जमीनी थाह लेने के लिये खंड शिक्षा क्षेत्र सूरतगंज के विद्मालयो और कुछ आंगनबाड़ी केन्द्रो का भ्रमण कर मुफ्त मे बट रही कीडा मारक दवाईयो का अवलोकन किया।प्राथमिक विद्मालय मोहडवा मे प्रभारी दिव्या पत्रकार शब्द सुनते ही आग बबूला होकर कहने लगी कि बिना हमारे आदेश के इस परिसर मे किसी का भी प्रवेश वर्जित है।वह पूरी तरह शिक्षक नही तानाशाह के रुप मे दिखाई पडी।स्कूल के बाहर खडे दो ग्रामीण तू तू मे मे सुन रहे थे जिन्हे भी मैडम का व्यवहार ठीक नही लगा उनका दबी जुबान से कहना था कि पाच छः दिन से बराबर स्कूल अब मैडम जी आ रही है।सहायक अध्यापक आलोक पाठक और हिंमाशु वर्मा अपने दायित्वो के प्रति सजग थे।दोपहर तक यहा एल्बेंन्डाजोल की टेबलेट बाटी नही जा सकी थी।प्राथमिक विद्मालय गोडा मे प्रधानाध्यापक कमलेश सिह बच्चो मे दवाई बाट रहे थे।स्कूल मे दर्ज कुल एक सौ चौसठ बच्चो मे एक सौ इक्कीस मौजूद थे।बाउन्डी वाल नदारत थी।किचन का कायाकल्प भी नही हुआ है।हा स्कूल मे नाम मात्र टाईल्स लगवाकर इति श्री कर ली गयी है।सहायक अध्यापक आनन्द शुक्ला शीतल श्रीवास्तव स्वंय के दायित्वो का निर्वाहन कर रहे थे।बच्चो के लिये किताबे अभी तक आई ही नही है।नल का पानी पीने योग्य नही बताया जा रहा था।यू पी एस मोहडवा मे प्रभारी प्रधानाध्यापक पंकज शुक्ला बच्चो के साथ तहरी भोज का स्वाद चख रहे थे।दवाई वितरित हो चुकी थी।एक सौ पचपन बच्चो मे तिरसठ बच्चे स्कूल आये थे।आगन बाडी केन्द्र गोड़ा बंद मिला बच्चे भी नही थे।स्कूल के कुछ बच्चो ने बताया कि सहायिका कालिन्दी देवी आई कुछ देर के लिये आई थी फिर बंद करके चली गयी।इस केन्द्र की हालत ठीक नही दिखाई पड़ रही थी।यहा दो केन्द्र चल रहे है ऐसी जानकारी मिली।कार्यकत्री ही नही आई तब दवाई वितरित करने के आदेश निर्देश धरे रह गये। आंगनवाड़ी केन्द्र मोहड़वा मे सहायिका बच्चो को पढ़ा रही थी पूछने पर बताया कि कार्यकत्री रश्मि नही आई है।दवा का भी वितरण नही हो सका।गौरतलब बात तो यह है कि भारतीय वातावरण मे संस्कार और सभ्यता की जनक मानी जाने वाली महिला जाति ठीक अपनी परम्परा के विपरीत खुलेआम व्यवहार करे वह भी तब जब वह गंवार न होकर एक विद्मालय की प्रभारी प्रधानाध्पिका हो तब सवाल उठना लाजिमी है।इस समबंध मे हमारे संवाददाता ने जब खंड शिक्षा अधिकारी संजय राय से बात करने का दूरभाष पर प्रयास किया तब आपने फोन रिशीब करना मुनासिब समझा नही।