अपने ही अधीनस्थों के परिवारजनों को बांट दी नौकरी
1 min readपुराने डीएम ने 11 दिन तक रोक रखी थी फाइल, बाजीगरी की भेंट चढ़ी एआरटी सेंटर की भर्ती
बलरामपुर।जिला मेमोरियल अस्पताल के एंटी रिटरोवायरल थेरेपी (एआरटी) सेंटर में खाली चल रहे चार पदों पर साक्षात्कार के परिणाम का इंतजार सोमवार को खत्म हो गया। 27 अगस्त को घोषित परिणाम की सूची सोमवार को अस्पताल में चस्पा होते ही पूरी चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई।20 जुलाई को इंटरव्यू देने के बाद परिणाम की बाट जोह रहे अभ्यर्थियों को 38 दिन बाद तगड़ा झटका लगा। हुआ यूं कि सभी पदों पर अस्पताल कर्मियों के स्वजन को ही तरजीह दी गई। जिला डाटा मैनेजर के पद पर नियुक्त हुआ आकिब अली जिला मेमोरियल अस्पताल के मुख्य चिकित्साधीक्षक डा. अशोक कुमार के अनुचर रज्जब अली का भाई है। यही नहीं काउंसलर पद पर नियुक्त मोनिका यादव यहीं पर साथिया काउंसलर नीरज यादव की बहन है। पांच सदस्यीय चयन कमेटी में सीएमएस डा. अशोक कुमार, यहीं के चिकित्सक डा. रमेश पांडेय के अलावा एसीएमओ व डीपीओ भी शामिल थीं। सीएमएस के कमेटी अध्यक्ष होने का लाभ मेमोरियल अस्पताल के कर्मचारियों के स्वजन को भरपूर मिला। परिवारजन की नियुक्ति होने से चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं।
तत्कालीन डीएम ने 11 दिन तक नहीं किया था हस्ताक्षर :
नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी की भनक लगने पर तत्कालीन जिलाधिकारी श्रुति ने चयन कमेटी के सदस्यों को तलब किया था। अभ्यर्थियों की फाइनल सूची को लेकर उनकी असहमति अंत तक बनी रही और उन्होंने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। 11 दिन तक परिणाम लंबित रहा। 31 जुलाई को उनका तबादला हो गया।
26 दिन बाद काकस सफल :
नए जिलाधिकारी डा. महेंद्र कुमार ने भी 26 दिन तक फाइल को वेटिंग में रखा। विभागीय काकस की बाजीगरी से आखिरकार मनमानी सूची को ही अंतिम रूप दे दिया गया। सीएमएस डा. अशोक कुमार का पक्ष लेने के लिए उनके मोबाइल नंबर पर काल की गई, लेकिन उन्हाेंने रिसीव नहीं किया। सीडीओ संजीव कुमार मौर्य ने बताया कि चयन में धांधली की जांच कराई जाएगी।