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कथावाचक ने षष्ठम दिवस पर श्री कृष्ण- रूक्मणी विवाह की पावन कथा सुनाई

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रिपोर्ट-देवीपाटन मंडल ब्यूरो राहुल वर्मा

बहराइच। जनपद के पिपरी मोहन के रामरूपपुरवा में आयोजक रामतेज उपाध्याय के द्वारा श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया श्रीमद्भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर वृंदावन धाम से आए कथावाचक आचार्य पवनकृष्ण ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह का प्रसंग सुनाया। कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के साथ हमेशा देवी राधा का नाम आता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं में यह दिखाया भी था कि श्रीराधा और वह दो नहीं बल्कि एक हैं। लेकिन देवी राधा के साथ श्रीकृष्ण का लौकिक विवाह नहीं हो पाया। देवी राधा के बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय देवी रुक्मणी हुईं। देवी रुक्मणी और श्रीकृष्ण के बीच प्रेम कैसे हुआ इसकी बड़ी अनोखी कहानी है। इसी कहानी से प्रेम की नई परंपरा की शुरुआत भी हुई। देवी रुक्मिणी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी। रुक्मिणी अपनी बुद्धिमता, सौंदर्य और न्यायप्रिय व्यवहार के लिए प्रसिद्ध थीं। रुक्मिणी का पूरा बचपन श्रीकृष्ण के साहस और वीरता की कहानियां सुनते हुए बीता था। जब विवाह की उम्र हुई तो इनके लिए कई रिश्ते आए लेकिन उन्होंने सभी को मना कर दिया। उनके विवाह को लेकर माता-पिता और भाई चिंतित थे। बाद में रुक्मणी का श्री कृष्ण से विवाह हुआ ।जिसमें बाल कलाकारों के द्वारा झांकी भी प्रस्तुत की गई जिसमें श्री कृष्ण – रूक्मणी विवाह की सुन्दर झांकी दिखाई गई
जिसके बाद आयोजक व मुख्य यजमान रामतेज उपाध्याय के द्वारा आरती जलाकर आचार्य रघुवीरशरण शास्त्री के द्वारा मंत्रोच्चारण सहित विधि विधान से आरती कराई गई जिस दौरान सूरज त्रिवेदी आचार्य रोशन राशिक, कान्हा उपाध्याय, पुष्कर उपाध्याय, गणेश उपाध्याय, अभिषेक सिंह, भोलू तिवारी, अंकित पाण्डेय, सौरभ सिंह, अमरेश पाठक आदि सैकड़ो भक्तगण मौजूद रहे।

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