नहाय खाय से तीन दिनों के इस पर्व की तैयारियां, पोखरी व तालाब के किनारे छठ मां की वेदियां बनाती दिखाई दी महिलाएं
1 min readरिपोर्ट – ई रवि वर्मा ब्यूरो
आजमगढ़। बता दें कि आस्था के महापर्व डाला छठ को लेकर नहाय खाय से तीन दिनों के इस पर्व की तैयारियां में महिलाएं अत्यधिक व्यस्त देखी जा रही हैं। महिलाएं सूप, नारियल, दौरी एवं अन्य सामानों की खरीदारी करती देखी जा रही हैं। छठ त्यौहार महिलाओं द्वारा 29 अक्टूबर को प्रारंभ किया जाएगा। व्रत रखने वाली महिलाएं एक दिन पूर्व चावल व लौकी की दाल खाकर व्रत रखेंगी। दूसरे दिन महिलाएं यानी 30 अक्टूबर को अस्त चलगामी सूर्य को गोदुग्ध से अर्ध देकर रात्रि जागरण करेगी। अगले दिन उदयमान सूर्य भगवान को गोदुग्ध से अर्घ्य देकर रात्रि जागरण करेगी। बताते हैं कि इस डाला छठ की परंपरा बिहार प्रदेश से पूर्वांचल में आई है। इससे डाला छठ की लोकप्रियता एवं व्रत रखने वाली महिलाओं की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है। इस बाबत घाटों तालाबों की साफ सफाई का कार्य तेजी से हो रहा है। यहां पर प्रकाश व्यवस्था एवं सजावट की तैयारियां शुरू कर दी गई है। अहिरौला तमसा नदी पर बने घाटों के साथ क्षेत्र के अन्य पोखरी और तालाबों पर बड़े बूढ़े बच्चे और औरतें पोखरी व तालाब के किनारे छठ मां की वेदियां बनाती दिखाई दे रही हैं। इस पर्व में व्रत रखने वाली औरतें पूरा नया वस्त्र के साथ ही व्रत रखती हैं। औरतें और उनके पति द्वारा फल फूल व पकवान से भरी डलिया को अपने सिर पर रखकर नंगे पांव पोखरे तक ले जाते हैं। इस पर्व में हर फल से लेकर सोवा, धनिया, मूली, मक्का आदि पुआ पकवान तक की खरीदारी होती है। अहिरौला तामसा नदी के राम जानकी घाट व भोले शंकर घाट पर मेले जैसा माहौल रहता है। इस दिन सुरक्षा व्यवस्था बनाने एवं भीड़ में भगदड़ मचने से बचाव के लिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहती है पोखरे के घाटों को विद्युत लड़ियों से सजाया जाता है।