Rashtriye Samachar

24 X 7 ONLINE NEWS

ग्यारहवीं शरीफ का त्यौहार अब्दुल कादिर जिलानी के यादगार में मनाया जाएगा

1 min read

रिपोर्ट – नूर मोहम्मद
उतरौला(बलरामपुर)ग्यारहवीं शरीफ का त्यौहार हजरत अब्दुल कादिर जीलानी रह०अ०(गौश-ए-आजम) के यादगार के रूप में मनाया जाता है। उनका जन्म उस समय गीलान शहर में हुआ था जो वर्तमान में ईरान में है।ऐसा माना जा रहा है कि हजरत अब्दुल कादिर जीलानी रह०अ० पैगंबर  हज़रत मोहम्मद सल०अलैहि वसल्लम के खानदान से थे क्योंकि उनकी माँ इमाम हुसैन की खानदान से थी जोकि पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्ललाहो अलैहे व सल्लम के नवासे थे। उन्हें इस्लाम को बुलंद करने वाले शख्स के रुप में भी जाना जाता है।हजरत अब्दुल कादिर जीलानी रह०अलैह अपने इल्म के जरिये बहुत से लोगो को इस्लाम के बारे में जानकारी दिए ।इसके साथ ही हजरत अब्दुल कादिर जीलानी साहब का जन्म 17 मार्च 1078 ईस्वी को गीलान राज्य में हुआ था, जोकि आज के समय ईरान में मौजूद है और उनके नाम में मौजूद जीलानी उनके जन्मस्थल को दर्शाता है। हर साल रमादान के पहले दिन को उनके जन्मदिन के रुप में मनाया जाता है और हर साल के रबी अल थानी के 11वें दिन को ग्यारहवीं शरीफ के त्योहार के रुप में मनाया जाता है।ग्यारहवीं शरीफ का यह त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाता है। वास्तव में एक प्रकार से यह उनके द्वारा समाज के भलाई और विकास के कार्यों के रूप में मनाया जाता है है। जो इस बात को दर्शाती है कि भले ही हजरत अब्दुल क़ादिर जीलानी हमारे बीच ना हो लेकिन उनके इस्लाम के बारे बताये हुए रास्ते को अपनाकर हम समाज के विकास में एक खास योगदान दे सकते है।हजरत अब्दुल कादिर जीलानी रह०अलै०के यादगार में पूरी दुनिया के सुन्नी मुसलमान बकरे व मुर्गे का नज्रो, नियाज दिलाते हैं।हज़रत अब्दुल कादिर जिलानी शाहब के खास बात ये है के ये गरीबो खाना खिलाया करते थे अपनी जिंदगी दूसरे को खाना खिलाने लगा दी और बहुत ही बड़ी बड़ी इनके जिंदगी का वाक़िया है इनके रौजे मुबारक पर आज भी लंगर चलता है कुछ लोगो का कहना है के आप भूखे रहते और दूसरे को खिलाते थे

Leave a Reply

Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.