तहसीलदार न्यायालय के पेशकार न होने से अधिवक्ताओं में काफी आक्रोश
1 min readरिपोर्ट – नूर मोहम्मद
उतरौला (बलरामपुर)कई दिनों से उतरौला तहसीलदार न्यायालय के पेशकार न होने से न्यायालय कई दिनों से बंद है। वादकारियों सहित अधिवक्ताओं में भारी आक्रोश व्यक्त किया है। अधिवक्ताओं के अनुसार पेशकार के नहीं रहने पर भी न्यायालय एव कार्यालय पूरी तरह से बंद नहीं होना चाहिए। यह काफी गंभीर मामला है।उतरौला तहसीलदार न्यायालय पिछले कई दिनों से बंद होने से मुकदमे से संबंधित कार्य को लेकर अधिवक्ताओं में काफी आक्रोश है। तहसीलदार के पेशकार के न होने के कारण न्यायालय एवं कार्यालय का कार्य बाधित हो गया है। अधिवक्ताओं का कहना है कि पेशकार, तहसीलदार या कोई पीठासीन अधिकारी के रहने पर भी कार्यालय खुला रहना चाहिए। जिससे न्यायालय पर पत्रावली का अवलोकन और मुकदमे की तिथि देने के लिए खुला रहना चाहिए। जबकि यह पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।अधिवक्ता संघ उतरौला महामंत्री गयासुद्दीन ने बताया कि 11 बजे तक कोई नोटिस चस्पा नहीं है, जिसके कारण वादकारियों को तिथि बताने में दिक्कत हो रही है। वहीं कुछ शिकायतकर्ताओं ने बताया कि जमीन संबंधी विवाद को लेकर प्रार्थना पत्र देना है, लेकिन कोई लेने वाला मौजूद नहीं है। यह स्थिति पिछले कई दिनों से बनी हुई है। इस समस्याओं को लेकर अधिवक्ताओं ने उप जिलाधिकारी संतोष कुमार ओझा से मुलाकात की है।
तहसीलदार ने बताया कि पेशकार की माता का देहांत हो जाने के कारण वह छुट्टी पर हैं। जिस कारण न्यायालय के कार्य कराना संभव नहीं है।