Rashtriye Samachar

24 X 7 ONLINE NEWS

सनातन संस्कृति को सशक्त बनाने के लिए ‘विंध्य संत मण्डल’ का गठन

1 min read

रिपोर्ट -शैलेंद्र सिंह पटेल

गैबीघाट पर जिले भर के संत-महात्माओं की महत्त्वपूर्ण बैठक

महात्माओं तथा साधु-संतों के चरण-स्पर्श पर निषेध

मिर्जापुर। जिले भर के साधु-संत, महात्मा-संन्यासियों की एक महत्वपूर्ण बैठक नगर के गैबीघाट मुहल्ले में स्थित हनुमानजी के मंदिर में हुई जिसमें सनातन-संस्कृति को सशक्त बनाने, सद्संस्कारों का धार्मिक लोगों सहित जनसामान्य में भाव जागृत करने, धर्मग्रन्थों में वर्णित पथ्य-अपथ्य कार्यों की जानकारी तथा उसके प्रचार प्रसार पर बल दिया गया ताकि जाने-अनजाने में निषेधात्मक कार्य किसी से हो जा रहा है तो उसकी जानकारी हो सके क्योंकि अधार्मिक कार्यों का जो हश्र बुरा होता है, उससे लोग बच सकें।
शुक्रवार, 9 दिसंबर को हुई धार्मिक विद्वानों की बैठक में अनेक विषयों पर समुचित चिंतन, मनन और मंथन हुआ। अत्यंत लोकतांत्रिक तरीके से अनेक विन्दुओं पर पक्ष-विपक्ष में भी विचार आते रहे लेकिन सभी विद्वतजन विमर्श के जरिए एक निश्चित निष्कर्ष पर पहुंच रहे थे।
बैठक में विंध्य संत मण्डल नामक संस्था का गठन किया गया जिसमें सर्वसम्मति से 84 वर्षीय महंत भरतस्वरूप आश्रम अध्यक्ष चुने गए जबकि सचिव महंत दिव्यानन्द चुने गए। मण्डल की गतिविधियों तथा धार्मिक आयोजनों के आमंत्रण आदि के लिए कोतवाल का चुनाव किया गया । इस पद पर संत तेजबली दास मनोनीत किए गए।
बैठक में तय किया गया कि धर्मग्रन्थों में स्पर्श-अस्पर्श के निर्देशों के क्रम में साधु-संत, महात्मा-संन्यासी चरण-स्पर्श न करने के विधान के बारे में श्रद्धालुओं को बताएंगे तथा खुद का चरण स्पर्श नहीं करने देंगे।
बैठक में सबका स्वागत रामानुज महाराज, धन्यवाद कचहरी बाबा आश्रम के महंत श्रीकांत महाराज, सन्चालन डंडी स्वामी मनीष आश्रम ने किया। इस अवसर पर स्वामी वाहे गुरु, पीडिकिया बाबा कठोतिया झन्ना, महंत रास बिहारी शरण (विंध्याचल), दिवस राज महाराज, कमलदास महाराज (पिउरी), श्यामलाल दास, बजरंगदास, श्यामसुंदर दास, सलिल पांडेय एवं श्याम सुंदर शुक्ल ‘पिंटू) आदि ने विचार व्यक्त किए।

Leave a Reply

Copyright © All rights reserved. | Newsphere by AF themes.