लखनऊ के विकासखंड माल में जोरो से फैल रहा भ्रष्टाचार, आला अधिकारी बने मूकदर्शक
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रिपोर्ट – शैलेन्द्र सिंह पटेल
लखनऊ। राजधानी के माल ब्लॉक के सचिव के निजी सहायक ने सरकारी खाते से धन राशि का किया आहरण।
राजधानी लखनऊ में विकासखंड माल के प्रधानों द्वारा ग्राम पंचायत में किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार किया जाए पर कोई अधिकारी अंकुश लगाने वाला नहीं है ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि जब विकासखंड में बैठे अधिकारी स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त होंगे तो पंचायतों में अंकुश कैसे क्योंकि जहां की शिकायत आती है वहां के मामले में सबसे पहले खंड विकास अधिकारी लीपापोती करने में जुट जाती हैंं।
ऐसे कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं जिनमें खंड विकास अधिकारी ने जांच के नाम पर दोषी के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय मामले पर पर्दा डाल दिया अब एक बार फिर विकासखंड माल की ग्राम पंचायत सरथला का मामला सामने आया है जहां प्रधान ने बिना नीलामी और ग्राम पंचायत में प्रस्ताव पारित किए बिना ही गांव में निर्मित उप स्वास्थ्य केंद्र की जर्जर इमारत की ईंट निकलवा कर प्राइमरी स्कूल की बाउंड्री बनवाने के लिए इमारत को गिराना शुरू ही कराया था कि गांव के ग्राम पंचायत सदस्य और कुछ अन्य लोग भड़क गए तथा विरोध शुरू कर दिया जिसके बाद प्रधान पति रहीस अहमद ने काम बंद करा दिया। इस संबंध में प्रधान पति ने कहा कि उन्होंने ग्राम पंचायत में कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया है और ना ही नीलामी की है इस बात की जानकारी विकास खंड कार्यालय के अधिकारियों को है दूसरी ओर इसी पंचायत के सचिव काफी दिनों से बीमारी के कारण ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं इस कारण उनके एक निजी सहायक अनिल कुमार ने प्रधान की सहमति से 4080 रुपया स्टेशनरी के नाम पर अपने नाम से निकाल लिए और 2850 रूपया अन्य किसी कार्य के लिए स्वयं सरकारी खाते से निकाल लिए जो नियमानुसार गलत है इस बात को प्रधान पति ने स्वीकार किया इसी तरह सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार निजी सहायक अनिल कुमार ने बहुत सारी पंचायतों से पैसा आहरण किया है कहीं पर श्रम के नाम से और कहीं पर अन्य वर्क दिखाकर सरकारी खाते से पैसे का आहरण किया है जबकि ग्राम पंचायत के अभिलेख को प्राइवेट व्यक्ति के हाथ में नहीं सौंपा जाता है इससे गोपनीयता भंग हो सकती है तब भी अधिकतर विकासखंड माल में लगभग सभी सचिवों के पास एक एक निजी प्राइवेट सहायक लगाए हुए हैं जोकि महत्वपूर्ण अभिलेखों का दुरुपयोग करते हैं इसी तरह सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार यही प्राइवेट सहायक सचिव घूस का पैसा स्वयं वसूलते हैं, और अपने ऊपर के अधिकारियों को बांटते हैं जबकि योगी सरकार के बड़े-बड़े दावे हैं कि भ्रष्टाचारियों को बक्सा नहीं जाएगा अब देखना यह है की इन भ्रष्टाचारियों पर कोई कार्यवाही होगी या फिर खंड विकास अधिकारी के द्वारा लीपापोती की जाएगी।
