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शीत लहर से बचाव हेेतु जिलाधिकारी ने दिए टिप्स

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रिपोर्ट -राम चरित्र वर्मा

शीत लहर से बचाव को लेकर जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा एडवाइजरी जारी

बलरामपुर।आगामी दिनों में संभावित ठण्ड व शीतलहर से बचाव के लिए क्या करें और क्या न करें, के सम्बन्ध में जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा एडवाइजरी जारी की गई है। बचाव सम्बन्धी जानकारी देते हुए जिलाधिकारी डा0 महेन्द्र कुमार ने जनसामान्य से अपील की है कि लोग स्वयं भी सचेत होकर शीतलहर आपदा से बचाव कर सकते हैं।
जिलाधिकारी ने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि स्थानीय रेडियो से मौसम की जानकारी लेते रहें। सदियों के लिए पर्याप्त कपड़ो का स्टॉक करें। कपड़ों की कई परतें अधिक सहायक होती है। आपातकालीन आपूर्ति जैसे भोजन, पानी, ईधन बैटरी चार्जर, आपातकालीन प्रकाश और साधारण दवा तैयार रखे। घर मे ठंडी हवा के प्रवेश रोकने हेतु दरवाओं तथा खिड़कियों को ठीक से बंद रखें। फ्लू नॉक बहना/भरी नाक या नाक बंद जैसी विभिन्न बीमारियों की संभावना आमतौर पर ठंड में लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण होती है। इस तरह के लक्षणों से बचाव हेतु आवश्यक सावधानी बरतें तथा स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों या डॉक्टर से परामर्श करें।शीत लहर के दौरान मौसम की जानकारी तथा आपातकालीन प्रक्रिया की जानकारी का बारीकी से पालन करें एवं शासकीय एजेसियों की सलाह के अनुसार कार्य करें। जितना हो सके घर के अंदर रहे और ठंडी हवा बारिश बर्फ के संपर्क को रोकने के लिए कम यात्रा करें। एक परत वाले कपड़े की जगह ढीली फिटिंग वाले परतदार हल्के कपउे, हवा रोधी/सूती का बाहरी आवरण तथा गर्म उनी भीतरी कपड़े पहने। तंग कपडे खून के बहाव को रोकते हैं, इनसे बचें। खुद को सूखा रखें, शरीर की गरमाहट बनाये रखने हेतु अपने सिर गर्दन, हाथ और पैर की उँगलियों को पर्याप्त रूप से ढके और गीले कपड़े तुरंत बदलें। बिना उँगली वाले दस्ताने (हैएड ग्लब्स) का प्रयोग करें। यह दस्ताने उंगलियों को बचाये रखने में मदद करते हैं। अपने फेफड़ों को बचाने के लिए मुँह तथा नाक ढक कर रखें। शरीर कि गर्मी बचाये रखने के लिए टोपी, हैट मफलर तथा आवरणयुक्त एवं जलरोधी जूतों का प्रयोग करें। सिर को ढके क्योंकि सिर के ऊपरी सतह से शरीर की की हानि होती है।सर्दी के दौरान उत्तम स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्य वर्धक भोजन करें। पर्याप्त रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए विटामिन सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं। गर्म तरल पदार्थ नियमित रूप से पीएं, इससे ठंड से लड़ने के लिए शरीर की गर्मी बनी रहेगी। तेल, पेट्रोलियम जेली या बाड़ी क्रीम से नियमित रूप से अपनी त्वचा को मॉइस्चराइज करें। बुजुर्ग लोगों, नवजात शिशुओं तथा बच्चों का ध्यान रखे एवं ऐसे पड़ोसी जो अकेले रहते है विशेषकर बुजुर्ग लोगों का हाल चाल पूछते रहें।  आवश्यकता अनुसार जरूरी सामग्री का भंडारण करें। जरूरी मात्रा में पानी भी रखें क्योंकि ठण्ड से पानी पाइप में जम सकता है। आवश्यकता अनुसार रूम हीटर का उपयोग कमरे के अंदर ही करें तथा रूम हीटर के प्रयोग के दौरान पर्याप्त हवा निकासी का प्रबंध रखें।जिलाधिकारी ने बताया कि कमरों को गर्म करने के लिए कोयले का प्रयोग न करें। अगर कोयले तथा जलाना आवश्यक है तो उचित चिमनी का प्रयोग करें। बंद कमरों में कोयले को जलाना खतरनाक हो सकता है क्योंकि यह कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैस पैदा करती है। इसके साथ ही स्वास्थ्य सम्बन्धी सावधानियां भी निश्चित रूप से बरतनी चाहिए। शराब का सेवन करने से बचें। हाइपोथीमिया ग्रसित व्यक्ति को गर्म स्थान पर रखें तथा कपड़े बदलें। प्रभावित व्यक्ति के शरीर को गर्म करें

फसलों को शीतलहर से बचाने के टिप्स

जिलाधिकारी ने बताया कि शीत लहर और ठण्ड फसलों की कोशिकाओं को भौतिक नुकसान पहुंचाती है जिससे कीट का आक्रमण तथा रोग होने से फसल बर्बाद हो सकती है। फसल के अंकुरण तथा प्रजनन के दौरान शीत लहर से काफी भौतिक विघटन होता है इसके बढ़ने से फसलों के अंकुरण, वृद्धि, पुष्पण तथा पैदावार पर असर पड़ता है। बचाव के उपाय बताते हुुए उन्होंने कहा कि बोर्डिऑक्स मिश्रण या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव कर शीत-घात के कारण रोग संक्रमण से बचाव करें। शीत लहर के बाद फास्फोरस और पोटेशियम उर्वरकों का उपयोग जड़ वृद्धि को सक्रिय करेगा और फसल को ठंड केे घात से तेजी से उबरने से मदद करेगा। शीतलहर के दौरान प्रकाश और लगातार सतह सिंचाई प्रदान करें। पानी की सिंचाई से उत्पन्न विशिष्ट गर्मी पौधों को शीत लहर से बचाता है। स्प्रिंकलर सिंचाई से पौधों में शीत घात को कम करने में भी मदद मिलेगी क्योंकि पानी की बूंदों का संघनन आसपास में गर्मी छोड़ता है। शीत-घात/तुषार प्रतिरोधी पौधों/फसलों/ किस्मों की खेती करें। बारहमासी बगीचों के बीच अंतवर्तीय फसल उगाएँ। इसके अलावा बगीचे में धुआँ करके भी फसलों को शील लहर/पाले से बचाया जा सकता है।

मवेशियों को शीतलहर से बचाव के उपाय
शीत लहरों के दौरान जानवरों और पशुधन को जीविका के लिए अधिक भोजन की आवश्यकता होती है क्योंकि ऊर्जा की आवश्यकता बढ़ जाती है। तापमान में अत्यधिक भिन्नता मवेशियों के प्रजनन दर को प्रभावित कर सकती है। मवेशियों को शीत लहर से बचाने के लिए उपायों को अपनाना चाहिए जैसे-ठंडी हवाओं के सीधे संपर्क से बचने के लिए रात के दौरान सभी पशु आवास को सभी दिशाओं से ढकना चाहिण् तकि ठंण्ड हवा प्रवेश न करे। ठंड के दिनों में छोटे पशुओं को ढक कर रखें। दुधारू पशु एवं कुक्कुट को ठंड से बचने हेतु अन्दर रखें। पशुधन के आहार एवं खानपान में वृद्धि करें। उच्च गुणवत्ता वाले चारा या चारागाहों का उपयोग करें। पशुओं को वसा की खुराक प्रदान करे,आहार सेवन तथा उनके चबाने के व्यवहार का ध्यान रखें। जलवायु अनुरूप शेड का निर्माण करें जो सर्दियों के दौरान अधिकतम सूरज की रोशनी वाले स्थानों पर रखे। सर्दियों के दौरान जानवरों के बैठने हेतु सूखे भूसे रखें। पालतू जानवरों पशुधन करे शीतलहर से बचाने हेतु भवन के अंदर रखे तथा उन्हें यथा सम्भव कम्बल या टाट के बोरे से ढकें।

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