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जिलाधिकारी ने प्रजनन सीजन में मछलियों के शिकार पर प्रतिबंध लगाए जाने की जारी की अधिसूचना

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रिपोर्ट -राम चरित्र वर्मा

नदी एवं प्राकृतिक जल स्रोत में मत्स्य शिकार 15 जून से 30 जुलाई तथा मत्स्य बीज पकड़ने पर 15 जुलाई से 30 सितंबर तक रहेगी रोक – जिलाधिकारी

नदी एवं प्राकृतिक जल स्रोत में अवैध रूप से मत्स्य शिकार / बिक्री करते पकड़े जाने पर व्यक्ति पर उत्तर प्रदेश मत्स्य अधिनियम 1948 के नियम 5 एवं 6 के उपनियम (1) व (2) के अंतर्गत की जाएगी दंडात्मक करवाई – जिलाधिकारी

उत्तर प्रदेश से मत्स्य अधिनियम 1948 की धारा 6(3) के तहत मत्स्य पदाधिकारी को मत्स्य पकड़ने के अपराध के संबंध में उप निरीक्षक के पद पर पुलिस पदाधिकारी के बराबर प्राप्त है शक्तियां

बलरामपुर।वर्षा ऋतु में भारतीय मेजर कॉर्प मछलियां कतला, रोहू,नैन व विदेशी कॉर्प मछलियां ग्रास कॉर्प , सिल्वर कॉर्प एवं कॉमन कॉर्प तथा अन्य मछलियां प्रजनन करती हैं ।प्रजनन सीजन में मछलियों के संवर्धन एवं संरक्षण हेतु जिलाधिकारी अरविंद सिंह द्वारा उत्तर प्रदेश मत्स्य नियमावली – 1954 के नियम 1(2) के तहत दी शक्तियों का प्रयोग करते हुए जनपद के सीमा में प्रवाहित होने वाली राप्ती नदी एवं प्राकृतिक जल स्रोत में मत्स्य शिकार पर 15 जून से 30 जुलाई तथा मत्स्य बीज पकड़ने, नष्ट करने पर 15 जुलाई से 30 सितंबर तक प्रतिबंध लागू किया गया हैं ।इस अवधि में नदियों एवं प्राकृतिक जल स्रोत में मत्स्य शिकार व मत्स्य बीज निकासी की चेकिंग के लिए मत्स्य विभाग , राजस्व विभाग एवं पुलिस पदाधिकारी , जो की उप निरीक्षक स्तर के होगे , अधिकृत किया गया है।उत्तर प्रदेश मत्स्य अधिनियम 1948 की धारा 6(3) के तहत मत्स्य पदाधिकारी को मत्स्य पकड़ने के अपराध के संबंध में तलाशी लेने और जांच पड़ताल करने के लिए भारतीय दंड संहिता 1973 के अधीन उप निरीक्षक के पद पर किसी पुलिस पदाधिकारी के बराबर शक्तियां प्राप्त हैं।मत्स्य शिकार पर प्रतिबंध की अवधि में अवैध रूप से किसी व्यक्ति को मत्स्य बीज निकासी एवं मत्स्य शिकार करते पकड़ा जाता है तो उसके विरुद्ध उत्तर प्रदेश मत्स्य अधिनियम – 1948 के नियम 5 एवं 6 के उपनियम (1) व (2) के अंतर्गत दंडात्मक कारवाही की जायेगी।

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