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बिना मान्यता के संचालित विद्यालयों के विरुद्ध कार्रवाई में प्रशासन की लापरवाही उजागर

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रिपोर्ट -अमरनाथ शास्त्री

बीएसए के एफआईआर के आदेश के बावजूद स्कूलों का संचालन बदस्तूर जारी

कर्नलगंज, गोण्डा। तहसील के हलधरमऊ शिक्षा क्षेत्र में बिना मान्यता के संचालित सात विद्यालयों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए गए थे। इसके बावजूद खंड शिक्षा अधिकारी और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की लापरवाही के कारण यह स्कूल आज भी संचालित हो रहे हैं। बार-बार चेतावनी देने और कार्रवाई के आदेश जारी करने के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है,जिससे शिक्षा क्षेत्र में प्रशासनिक सख्ती की कमी साफ दिखाई दे रही है और उनके विरुद्ध कार्रवाई में प्रशासन की लापरवाही उजागर हो रही है।
विद्यालयों के संचालक और प्रशासन की मिलीभगत का शक।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बीएसए अतुल कुमार तिवारी ने पहले खंड शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट प्राप्त की थी,जिसमें कर्नलगंज तहसील के अन्तर्गत हलधरमऊ शिक्षा क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर बिना मान्यता के संचालित विद्यालयों का उल्लेख था। इन विद्यालयों में ब्राइड मैरीडियन एकेडमी हुजूरपुर रोड दत्तनगर, एम्स स्कूल बसालतपुर तिवारी चौराहा, सोमनाथ शिक्षा निकेतन मगराइच पुरवा पतिसा, एमआई पब्लिक स्कूल सेल्हरी, लिटिल हार्ट पब्लिक स्कूल सेलहरी डीहा, अपना विद्यालय चौरी, ग्रीन स्प्राउट पब्लिक स्कूल सेल्हरी चौराहा पाण्डेय पुरवा शामिल हैं। रिपोर्ट में बताया गया था कि खंड शिक्षा अधिकारियों ने पहले इन विद्यालयों को बंद कराया था,लेकिन 10-15 दिनों के भीतर ही इनका संचालन दोबारा शुरू हो गया। इस पर बीएसए ने एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए थे,लेकिन आज तक किसी भी प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। बीएसए अतुल कुमार तिवारी के मुताबिक खंड शिक्षा अधिकारियों ने हलधरमऊ शिक्षा क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर स्थित सात विद्यालयों की सूची सौंपी है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जब इन विद्यालयों को बंद कराने के आदेश दिए गए थे,तब स्कूल प्रबंधकों से मात्र 10 रुपए के स्टांप पेपर पर यह लिखित शपथपत्र लिया गया था कि वे अपने स्कूल का संचालन बंद कर देंगे। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इन विद्यालयों का संचालन अभी भी बदस्तूर जारी है। खंड शिक्षा अधिकारी और बीएसए से जब इस मुद्दे पर सवाल किए गए कि इन बंद स्कूलों के बच्चों का दाखिला किस सरकारी स्कूल में हुआ है,तो अधिकारियों ने स्पष्ट जवाब देने से बचने की कोशिश की। यह स्थिति अधिकारियों की मिलीभगत की ओर इशारा करती है। आपको बता दें कि इस पूरे प्रकरण ने शिक्षा विभाग की उदासीनता और ढिलाई को उजागर कर दिया है। यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की जाती है,तो इससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा बल्कि बिना मान्यता के स्कूलों के संचालन से बच्चों का भविष्य भी खतरे में पड़ सकता है। शिक्षा क्षेत्र में इस तरह की लापरवाही से अभिभावकों का भी प्रशासन पर से भरोसा उठ सकता है। प्रशासन की ओर से ऐसी गंभीर स्थितियों में कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि भविष्य में बिना मान्यता के विद्यालयों का संचालन न हो सके और बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिल सके। इस संबंध में खंड अधिकारी हलधरमऊ से वार्ता करने हेतु संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन नेटवर्क क्षेत्र से बाहर था।

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