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नाबालिग बच्चों से काम कराने की समस्या गंभीर, पढ़ाई की उम्र में दुकान पर कर रहे मजदूरी

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संवाददाता – सिराज अहमद

उतरौला (बलरामपुर)।नगर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में नाबालिग बच्चों का छोटे-बड़े दुकानों पर काम करना आम होता जा रहा है। चाय की दुकानें, किराने की दुकानें, होटल, ढाबे और अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर इन बच्चों को काम करते देखा जा सकता है। इन बच्चों की उम्र ऐसी होती है जब उन्हें स्कूल के बैग के साथ पढ़ाई करते हुए देखा जाना चाहिए, लेकिन वे अपनी पढ़ाई छोड़कर दुकानों पर मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं।बच्चों के लिए यह उम्र उनके भविष्य को संवारने और ज्ञान अर्जित करने की होती है, लेकिन गरीबी और परिवार की आर्थिक स्थिति के चलते इन्हें स्कूल जाने के बजाय मेहनत-मजदूरी करनी पड़ती है। कई बार यह बच्चे अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए दुकान मालिकों के कहने पर कम वेतन पर काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं।हालांकि, बाल श्रम को रोकने के लिए सख्त कानून बनाए गए हैं, फिर भी स्थानीय दुकानों और व्यवसायों में इन कानूनों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। दुकानदार और व्यवसायी कानून की परवाह किए बिना नाबालिग बच्चों को काम पर रख रहे हैं, जिससे न केवल उनका भविष्य अंधकारमय हो रहा है बल्कि बाल श्रम के नियमों का भी उल्लंघन हो रहा है।
इस गंभीर स्थिति के बावजूद प्रशासन और संबंधित विभागों की ओर से कोई सख्त कदम नहीं उठाया जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अधिकारियों को इन बच्चों के भविष्य के प्रति संवेदनशील होकर उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। प्रशासन को चाहिए कि वह बाल श्रम के खिलाफ अभियान चलाकर इन बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में लाने का प्रयास करे।समाजसेवी संगठनों और स्थानीय नागरिकों को भी इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने और नाबालिग बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए कदम उठाने चाहिए। शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाकर ही इन बच्चों को बाल श्रम से मुक्त किया जा सकता है और उनका भविष्य उज्ज्वल बनाया जा सकता है।

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