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दुःख हरण नाथ मंदिर पोखरे पर धूमधाम से मनाया गया छठ पूजा

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रिपोर्ट – ब्यूरो बलरामपुर

उतरौला (बलरामपुर) रविवार से सोमवार की शाम तक चले भव्य श्राद्ध-सम्पर्क और पूजा-आराधना के बीच दुःख हरण नाथ मंदिर के पोखरे पर इस बार छठ पूजा बड़े आयोजन के साथ संपन्न हुई। नगरवासी, महिलाएँ-पुरुष, बच्चे और सामाजिक-सांस्कृतिक समूहों की भारी भीड़ ने पुरानी परंपरा के अनुरूप सूर्यदेव को अर्घ्य दिया और वातावरण श्रद्धा-भक्ति से गुंजायमान रहा।मंदिर परिसर व पोखरे की दीवारों, पाड़ों तथा पास की पुलियों को रंगोली, रोशनी व पारंपरिक झंडों से संवारकर विशेष रूप से सजाया गया था। शाम होते ही विद्युत रोशनी, रंगीन लाइट-स्ट्रिंग और पटाखों की जगह रखी गई शांत परम्परागत रोशनी ने पूरे स्थल को वैभवशाली रूप दे दिया। घाट पर व्यवस्थित अव्यवस्था रोकने के लिए पूजा स्थानों पर पंक्तियाँ बनाई गईं, जिससे महिलाओं को आरती-अर्घ्य देने एवं दीपक जलाकर डालने में सुविधा रही।
पोखे के किनारे पर सैकड़ों-हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु एकत्रित हुए कुछ परिवारों ने पारंपरिक बर्तन, गुड़, फल-सब्जियाँ और ताज़ा कच्चे के पेड़ की डालियाँ लेकर पूजा-कर्म किए। कई परिवारों ने पारिवारिक परंपरा के अनुसार चार सदियों से चली आ रही विधि-विधान के साथ ग्रुप में बैठकर भजन-कीर्तन तथा पारंपरिक लोकगीत गाए।
मंदिर समिति, स्थानीय समाजसेवी वर्ग और आदर्श नगर पालिका परिषद उतरौला द्वारा सुबह से ही व्यवस्थाएँ दुरुस्त की गईं। घाट के पास मंच पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ (भजन, लोकगीत, लघु कार्यक्रम) आयोजित किए गए, जिनमें बालिकाओं तथा युवा गायकों ने भाग लिया। रंगोली, डेकोरेशन व मंच पर दिखाई गई चित्रकथाओं ने छठ पर्व के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को उजागर किया।
स्थल पर सजाये गए पंडालों में श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था, पूजा सामग्री की छोटी-छोटी दुकानें और प्रसाद वितरण के स्थान व्यवस्थित किए गए थे। कई स्वयंसेवी समूहों ने बुजुर्गों और बच्चों के लिए विशेष स्थान बनवाकर उन्हें सुविधा प्रदान की।स्थानीय प्रशासन तथा मंदिर समिति ने सुरक्षा व शांति बनाए रखने के लिए समुचित इंतजाम किए। आसपास के मार्गों पर यातायात नियंत्रित किया गया जिससे पैदल भीड़ के आवागमन में सुविधा बनी रही। स्थानीय पुलिस और स्वयंसेवक आपस में समन्वय कर तैनात रहे ताकि कहीं भी भीड़ की अनियोजित हलचल न हो। प्राथमिक चिकित्सा और आपात स्थिति के लिए स्थानीय स्वास्थ्यकर्मी उपलब्ध रहे।श्रद्धालुओं ने आयोजन की व्यवस्था और बढ़ चढ़ कर भागीदारी की सराहना की। एक वृद्ध श्रद्धालु ने कहा कि “हर वर्ष की तरह इस बार भी गाँव-परिवार मिलकर परंपरागत रूप से छठ किया दिल को सुकून मिला।” कई युवाओं व महिलाओं ने आयोजन का मुख्य आकर्षण-पल बताते हुए कहा कि झिलमिल रोशनी, पारंपरिक गीत और सामूहिक आराधना ने उत्सव को यादगार बना दिया।मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि आयोजन शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ तथा भविष्य में और बेहतर व्यवस्था के उद्देश्य से सुझावों को संकलित कर अगली बार अमल में लाया जाएगा।
छठ पूजा हिन्दू परम्परा की उन दुर्लभ व पवित्र क्रियाओं में से है जिसमें सूर्यदेव व प्राणियों के प्रति आभार व निवेदन के साथ व्रत, निर्जला (आंशिक) व अर्घ्य का विशेष महत्व है। श्री दुःख हरण नाथ मंदिर के पोखरे पर की गई सामूहिक अर्घ्य-प्रदान ने स्थानीय सांस्कृतिक और धार्मिक भावना को मजबूत किया तथा समुदाय में एकता व भक्ति की भावना को परोसा।इस वर्ष दुःख हरण नाथ मंदिर पोखरे पर मनाया गया छठ-उत्सव श्रद्धा-भक्ति, सुशासन और सामुदायिक सहभागिता का जीता-जागता उदाहरण बना। आयोजकों, प्रशासन और स्वयंसेवकों की एकजुटता के कारण पर्व सुगमता और सुरक्षा के साथ संपन्न हुआ, जिससे भक्तों और नगरवासियों में संतोष और उत्साह का भाव देखने को मिला।

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