सर्दी का बढ़ता प्रकोप, बच्चों व बुजुर्गों के लिए विशेष सावधानी जरूरी: डॉ. सीपी सिंह
रिपोर्ट – राम चरित्र वर्मा
उतरौला (बलरामपुर)।दिसंबर का महीना चल रहा है और बीते कुछ दिनों से क्षेत्र में ठंड का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है। सुबह और शाम घना कोहरा तथा गलन लोगों के दैनिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। तापमान में लगातार गिरावट के कारण सबसे अधिक परेशानी स्कूली बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार व्यक्तियों को झेलनी पड़ रही है। ठंड के इस बढ़ते असर को देखते हुए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उतरौला के अधीक्षक डॉ. सीपी सिंह ने आमजन को सतर्क रहने और आवश्यक सावधानियां बरतने की सलाह दी है।डॉ. सीपी सिंह ने बताया कि शीतलहर के दौरान शरीर का तापमान तेजी से गिर सकता है, जिससे सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार, सांस की दिक्कत, जोड़ों में दर्द और हाइपोथर्मिया जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण ठंड का असर जल्दी दिखाई देता है, इसलिए इन वर्गों की विशेष देखभाल जरूरी है।उन्होंने सलाह दी कि ठंड के मौसम में यथासंभव घर के अंदर रहें और अनावश्यक रूप से सुबह तड़के या देर शाम बाहर निकलने से बचें। बाहर निकलते समय पूरे शरीर को ढकने वाले गर्म कपड़े पहनें। सिर, कान, गर्दन, हाथ और पैरों को ढककर रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि इन्हीं हिस्सों से शरीर की गर्मी सबसे ज्यादा बाहर निकलती है। ऊनी टोपी, मफलर, दस्ताने और गर्म जूते का उपयोग अवश्य करें।डॉ. सीपी सिंह ने खानपान पर विशेष ध्यान देने की बात कहते हुए बताया कि ठंड में शरीर को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऐसे में पौष्टिक एवं संतुलित आहार लें। हरी सब्जियां, मौसमी फल, विशेषकर विटामिन-सी युक्त फल जैसे आंवला, संतरा, नींबू का सेवन करें। गुनगुना पानी, चाय, सूप और अन्य गर्म तरल पदार्थ पीते रहें, जिससे शरीर का तापमान संतुलित बना रहे।उन्होंने यह भी कहा कि त्वचा को ठंड से बचाने के लिए नियमित रूप से तेल या मॉइस्चराइजर का प्रयोग करें, ताकि त्वचा रूखी न हो। गीले कपड़ों में न रहें और पसीना आने पर तुरंत कपड़े बदल लें। छोटे बच्चों को सुबह बहुत जल्दी स्कूल भेजने से बचें और उन्हें पर्याप्त गर्म कपड़े पहनाकर ही बाहर भेजें।हाइपोथर्मिया को लेकर डॉ. सीपी सिंह ने गंभीर चेतावनी देते हुए बताया कि अत्यधिक ठंड में शरीर का तापमान सामान्य से बहुत नीचे चला जाना खतरनाक हो सकता है। इसके लक्षणों में अत्यधिक कंपकंपी, बोलने में कठिनाई, सुस्ती, भ्रम की स्थिति और सांस लेने में परेशानी शामिल हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर मरीज को तुरंत गर्म स्थान पर ले जाएं, गर्म कपड़ों या कंबल से ढकें और बिना देरी किए चिकित्सक से संपर्क करें।अंत में उन्होंने आमजन से अपील की कि ठंड के मौसम में अफवाहों से बचें, स्वयं सतर्क रहें और परिवार के बुजुर्गों, बच्चों व बीमार सदस्यों का विशेष ध्यान रखें। किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उतरौला में संपर्क कर उपचार प्राप्त करें। ठंड से बचाव ही इस मौसम में सबसे बड़ा बचाव है।