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आजादी के 75साल बाद भी गांव तक नहीं पहुंचती एंबुलेंस

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रिपोर्ट -नूर मोहम्मद


चार पाई रिक्शा ,बाइक व साईकिल पर लादकर नांव तक लाना पड़ता है मरीज
उतरौला(बलरामपुर) उतरौला तहसील क्षेत्र का एक ऐसा गांव जहां आजादी के 75वर्ष बाद भी गांव तक एंबुलेंस और स्कूली साधन नहीं पहुंच पाते,जहां किसी के बीमार होने पर मरीजों को साईकिल,बाइक,अथवा चारपाई पर लादकर नांव तक पहुंचाना पड़ता है ।वहीं छोटे छोटे बच्चे स्कूली वाहन से महरूम हैं।
हम बात कर रहे हैं उतरौला विधानसभा क्षेत्र के भरवलिया गांव की जहां आवागमन के लिए मुख्य रास्ता राप्ती नदी से होकर जाता है जिससे दिन भर ग्रामीणों का आवागमन रहता है वहां के वाशिंदों को गांव से बाहर जाने के लिए एक मात्र जरिया नांव का ही है।जिसके कारण गांव तक एंबुलेंस व स्कूली वाहन नहीं पहुंच पाते।और मरीजों को इलाज के लिए चारपाई,साईकिल अथवा बाईक से नांव तक पहुंचाना पड़ता है।यही कारण है कि उस‌ गांव तक स्कूली वाहन भी नहीं जा पाते।सबसे बड़ी समस्या यह है कि गर्भवती महिलाओं को प्रसव के समय बड़ी दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है। जबकि लम्बे समय से क्षेत्र के बुध्दिजीवी, समाजसेवी, नदी पर पीपे के पुल की मांग करते आ रहे हैं।बावजूद इसके आज तक किसी जनप्रतिनिधि व जिम्मेदार अधिकारी का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है।

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