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लहुरी काशी गाजीपुर की ऐतिहासिक धरती पर पिता की आज्ञा पालन में वन को चले श्री राम

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रिपोर्ट -शैलेन्द्र सिंह पटेल

गाजीपुर। विकास खण्ड करंडा के अन्तर्गत ग्राम सभा चकिया मे रामलीला समिति चकिया द्वारा आयोजित पांचवे दिन की रामलीला में प्रभु श्री राम अपने पिता की आज्ञा पालन करने को 14 वर्षों का वनवास के लिए वन की तरफ निकल पड़े। जिसको देखकर पूरे प्रांगण में उपस्थित दर्शक भाव विभोर हो गए। रास्ते में श्री राम के मित्र निषाद राज से मुलाकात होती है। जिनकी कहने पर केवट गंगा नदी पार कराता है। इधर भरत अपने ननिहाल से वापस आते हैं। तब उन्हें खबर मिलती है कि उनके पिता का स्वर्गवास हो गया है और भाई राम 14 वर्षों के लिए वन को गए हैं। जिस पर अपनी माता पर बहुत गुस्सा होते हैं। फिर भरत अपने बड़े भाई श्री राम को वापस अयोध्या लाने के लिए गुरु वशिष्ट के साथ अपनी तीनों माताओं को लेकर पूरे सेना के साथ वन की निकल पड़े। रास्ते में भरत की भेंट निषादराज से होती है। जो उन्हें श्री राम प्रभु के निवास स्थान चित्रकूट तक ले जाते हैं। जहां पर भरत द्वारा राम को वापस अयोध्या आने की बात करी जाती है। जिस पर राम आने से मना कर देते हैं तत्पश्चात भरत अपने बड़े भाई की चरण पादुका को राज्य चलाने के लिए मांगते हैं। इस पर राम सहर्ष स्वीकार करते हुए उनकी बातों को मान लेते हैं। रामलीला के समापन के दौरान जय श्री राम के नारों से पूरा प्रांगण गूंज उठता है। लीला के दौरान दौरान मुख्य भूमिका में अशोक, लव कुमार, अमरजीत, प्रभाकर, झब्बू, टनटन, रामप्रवेश, आशीष रहे।

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