रैन बसेरा की व्यवस्थाओं पर सेंध लगा रहे है गोण्डा के जिम्मेदार
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रिपोर्ट -अशहद आरिफ़
निदेशक के निर्देश का नही हो रहा पालन
गोण्डा।यूपी में हर बार ठंडी के सीज़न में बेघर लोगों की देखभाल के लिए सरकार की ओर से कई तरह के दावे किए जाते हैं। रैन बसेरों की संख्या बढ़ाने की बात कही जाती है और सरकार उनमें तमाम सुविधाएं देने की भी बात करती है। लेकिन दावों से उलट धरातल पर सच्चाई कुछ और ही नजर आती है। ऐसे में, हमने अलग-अलग रातों में यूपी के गोण्डा जिले के विभिन्न रैन बसेरों में जाकर उनका रियलिटी चेक किया गया अपनी पड़ताल के दौरान हमने पाया कि बस स्टैंड पर रैन बसेरों में कई कंबल इतने गंदे हैं कि उन्हें ओढ़ा ही नहीं जा सकता, लेकिन फिर भी वो कंबल लोगों को ओढ़ने के लिए दिए जा रहे हैं। और रात गयारह बजे केअर टेकर सोते हुए मिला जबकि इनकी ड्यूटी 8 शाम से सुबह 8 बजे तक है जैसे ही 10 बजता है केअर टेकर सो जाते है और रैन बसेरे में चाहे कोई आये या फिर जाए या फिर किसी का सामान ही क्यों न चोरी हो जाए इससे केअर टेकर को कोई फर्क पड़ने वाला नही है क्योंकि इनको अपनी जिम्मेदारी का अहसास ही नही है जबकि निदेशक नगर विकास उत्तर प्रदेश नितिन बंसल का ने यूपी के सभी जिलाधिकारी व अधिशाषी अभियंता को निर्देश जारी किया है कि नगर क्षेत्र में पड़ने वाले रैन बसेरे में सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था होनी चाहिए इसी के साथ शौचालय की भी व्यवस्था होनी चाहिए और जेन्स और लेडिस का अलग अलग बेड होना चाहिए और गर्म पानी की भी व्यवस्था होनी चाहिए लेकिन इन सब मे एक भी चीज़ बस स्टैंड रैन बसेरे में देखने को नही मिली है इसका मतलब साफ है कि जिम्मेदार के लिए निदेशक का आदेश माने नही रखता है और न ही निदेशक के आदेश का अभी तक कोई भी पालन नही किया गया और वही सूबे के मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि अगर कोई भुखा रैन बसेरे के अंदर आता है तो उसके भोजन की भी व्यवस्था की जाए लेकिन इस संबंध में कोई भी प्रचार प्रसार नही किया गया है जब तक जनता जाने गी नही तब तक भोजन कैसे मिलेगा ये अपने आप मे बड़ा सवाल है जब केअर टेकर से गंदे कंबलों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि इन्हें धोने के लिए भेजा जाएगा। इसके अलावा लगभग रैन बसेरे में कोई सीसीटीवी कैमरा लगा नही पाया गया और शौचालय की व्यवस्था पाई गई और न ही जेन्स और लेडिस की व्यवस्था पाई गई। ऐसे में लोगों का उन शौचालयों का इस्तेमाल कर पाना नामुमकिन था क्योंकि शौचालय है ही नही। अब अगर किसी को शौचालय की जरूरत रात में अचानक पड़ जाए तो वो कहा जायेगा ये अपने आप मे बड़ा सवाल है जिला मुख्यालय में कई लोग ऐसे हैं जो बेघर हैं और फुटपाथ पर ही लेटकर रात गुजारते हैं। जब उनसे रैन बसेरा में जाकर रात गुजारने को कहा जाता है, लोग तो मना कर देते हैं। मना करने का कारण यही है कि व्यवस्था ही नही है