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03 वर्षों के स्थान पर 13 वर्षों से लगातार सीएचसी विक्रमजोत पर जमें डा० आसिफ फारूकी

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संवाददाता -बस्ती

बस्ती ( विक्रमजोत ) – सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र विक्रमजोत अधीक्षक डा० आसिफ फारूकी वर्ष – 2010 से सीएचसी विक्रमजोत पर तैनात है । अधीक्षक डा० आसिफ फारुकी को सीएचसी विक्रमजोत से मोह भंग नही हो रहा है । मुख्य चिकित्सा अधिकारी की मिलीभगत से डा० आसिफ फारुकी की तैनाती में बड़ा खेल चल रहा है । शासनादेश के अनुसार कोई अधिकारी / कर्मचारी 03 वर्षों तक एक ही कार्यालय / स्थान पर डियूटी कर सकता है और 03 वर्षों से अधिक का समय पूर्ण होने पर किसी अधिकारी / कर्मचारी को दूसरे कार्यालय / स्थान पर स्थानांतरण नीति के आधार पर स्थानांतरण कर किया जाता है । मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्थानांतरण नीति की धज्जियां उड़ाने में तनिक सा भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं । 03 वर्षों के स्थान पर 13 वर्षों से अधीक्षक डा० आसिफ फारुकी जमे हुए हैं जिसको लेकर शासन – प्रशासन पर तरह – तरह की चर्चाएं चल रही है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी क्यों सरकारी शासनादेश को ताख पर रख डा० आसिफ फारुकी के स्थानांतरण को दबाएं हुए हैं इस प्रकार स्पष्ट है कि कुछ दाल में काला है अर्थात् मनचाहा सुविधा शुल्क मिला है । सवाल यह उठता है कि इन मनमानी करने वाले अधिकारियों / कर्मचारियों के खिलाफ क्यों कार्रवाई नहीं हो रही है । सरकारी कानूनों को जेब में रख चलने का सीधा मतलब अधिकारियों की तानाशाही है । चुनावी सीजन को कर्मचारियों/ अधिकारियों का स्थानान्तरण सीजन भी कहा जाता है । इस दौरान कई वर्षों से एक ही स्थान पर जमें कर्मचारी स्थानान्तरित कर दिए जाते हैं परन्तु जनपद के स्वास्थ्य विभाग में दर्जनो डाक्टर ऐसे हैं जो दशकों से एक ही स्थान पर अंगद की तरह पॉव जमाए हुए हैं परन्तु सीएमओ / स्वास्थ्य विभाग के मुखिया की मिलीभगत से चुनावी सीजन में भी टस से मस नहीं हो रहे हैं । चर्चाओं पर यदि गौर करें तो डाक्टरों के स्थानान्तरण का असली रोड़ा डाक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस है जिसके कारण ही डाक्टर अपना स्थान नहीं छोड़ना चाहते । अधिकारियों व डाक्टरों की रार में स्वास्थ्य विभाग के ओवरहालिंग की आस जगी थी परन्तु सुलह समझौते में डाक्टरों का स्थानान्तरण फिर लटक गया । देखना यह है कि चुनावी सीजन में डाक्टरो के भी स्थानान्तरण हो पायेंगे या फिर पुरानी परिपाटी ही जारी रहेगी व दशको से एक ही स्थान पर जमें डाक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस के जरिए निरीह जनता का खून यूँ ही चूसते रहेंगे । अब देखना है कि 03 वर्षों के स्थान पर 13 वर्षों तक जमे हुए डा० आसिफ फारुकी का स्थानांतरण हो पाता है या अपना काम बनता तो भाड़ में जाए जनता की नीति जारी रहेगा ।

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