कवि गोष्ठी का किया गया आयोजन
1 min readरिपोर्ट -ब्यूरो चीफ
बाराबंकी।”रचनाकार स्वयं अनुभूत सत्य को जितनी उत्कृष्टता के साथ अपनी रचना के रूप में व्यक्त करता है,रचना उतनी ही उत्कृष्ट होती है।”उक्त उद्गार शिव गंगा साहित्य सेवा समिति मसौली की मासिक काव्य गोष्ठी में पधारे वरिष्ठ समीक्षक व साहित्यकार डा. ब्रजकिशोर पांडेय ने व्यक्त किए। गोष्ठी की अध्यक्षता ओजकवि डॉ ओ पी वर्मा ‘ओम’ ने की।गोष्ठी-सम्मान के क्रम में इस बार प्रसिद्ध ओज कवि एवं साहित्यकार डा.अंबरीष ‘अंबर’ को ब्रजकिशोर पांडेय, डॉ ओ पी वर्मा ओम,प्रसिद्ध ओज कवि शिव कुमार व्यास, साहित्यकार प्रदीप सारंग तथा हास्य कवि अजय प्रधान ने स्मृति चिह्न एवं अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया। डा. कुमार पुष्पेंद्र ने डा.अंबरीष’अंबर’ का जीवन एवं साहित्यिक परिचय प्रस्तुत किया । डा. अंबर राजकीय विद्यालय से से. नि. प्रधानाचार्य हैं। आपकी माता का नाम कीर्तिशेष श्रीमती रामप्यारी,पिता – कीर्तिशेष भगवती प्रसाद वर्मा (शिक्षक ),पत्नी श्रीमती विनीता वर्मा ‘सुरभि’, प्रधानाचार्या (मा. शि. राजकीय ) है। बाराबंकी जनपद के निवासी आप एम. ए. (भूगोल एवं हिंदी ),बी. एड.,साहित्याचार्य एवं पीएचडी हैं । आपकी कृतियां हैं अंतस् की आग ( गया प्रसाद शुक्ल ‘सनेही ‘ पुरस्कार 2018, पुरस्कार राशि – एक लाख रुपए , राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान उ.प्र.की ओर से), प्रथम स्वाधीनता संग्राम में अवध का योगदान (प्रबंध काव्य ), सिख गुरुओं का बलिदान ( प्रबंध काव्य ), दुर्गा शरणम् , हनुमत शरणम् , शंकर शरणम् ,श रामशरणम् , शनिशरणम् , कृष्णशरणम् , बुद्धम् शरणम्, भैरव शरणम् ( सभी काव्य संग्रह ) ,अम्बर की कुण्डलिया,गुरुगौरवम् (संस्कृत श्लोक ) तथा नूतन वर्ष बधाई (संग्रह) आदि। आपके द्वारा लिखे भजनों का संग्रह सी.डी.शिवगीत
स्वर- भजन सम्राट श्रीअनूप जलोटा ) दूसरा भजन संग्रह सी.डी. देवी गीत (स्वर- भजन साम्राज्ञी अनुराधा पोडवाल ) है। दोनों सी डी मिंटो धाम स्थित ‘ मुक्ति गुप्तेश्वर महादेव ‘ क्वींस लैंड आस्ट्रेलिया को समर्पित हैं ।डा.कुमार पुष्पेंद्र की वानीवंदना से आरंभ हुई गोष्ठी में हास्य व्यंग्य के कवि नागेंद्र सिंह ने पढ़ा-
” भरे वात्सल्य से आंचल की शीतल छांव में शिशु पर,
नेह बनकर छलकता जो वो मां का प्यार पाया कविता है।”
रामकिशुन यादव ने पढ़ा –
“होली में हुड़दंग न करना,एक दूजे को तंग न करना।”
वीरेंद्र सिंह करुण ने पढ़ा-
” मन चल निज स्वरूप की ओर”
ध्यान सिंह चिंतन ने पढ़ा-
” घुटते मां बाप जमाने से मुंह छिपाते हैं, बिगड़ी औलाद बनी साख निगल जाती है।” गीतकार सोहन आजाद ने पढ़ा- ” रहना हमेशा यूं ही मेरे साथ जिंदगी, तू है तो मेरी बात में है बात जिंदगी।” साहब नारायण शर्मा ने पढ़ा-” चाहता था वो होना सभी का मगर, चाहकर भी किसी का वो हो न सका।” सनत कुमार वर्मा अनाड़ी ने पढ़ा- ” जो भी मिला, वह प्यासा मिला है।” नीरज शुक्ल सकल ने पढ़ा- ” जिसके लिए तरसता था मैं आज मुझे वह प्यार मिला।” रणधीर सिंह ने कुछ यूं कहा- ” नसीबों से नहीं मिलती किसी को, सफलता बस पसीना मांगती है।” प्रदीप सारंग ने मां पर कविता पढ़ी- ” पकड़ उंगली दिखाया साथ चलकर सब गली रस्ते,सहारे की जरूरत आज तो ठेंगा दिखाया है।” हास्य कवि अजय प्रधान ने पढ़ा- ” सोच मत बार बार होगा भवसिंधु पार,जीवन की बागडोर राम जी को सौंप दे। इसके अतिरिक्त कुंदन सिंह, अवधराम गुरु, अमरजीत यादव, राम मिलन, अभिनव सिंह,प्रशांत रावत, रवींद्र नाथ सोनी, सुनील मिश्र सागर, धर्मेंद्र कुमार मिश्र, डा.निरंकार रस्तोगी तथा राजीव कुमार रावत आदि ने काव्यपाठ किया। रामसरन तथा रमेश चंद्र रावत तथा डा.जयदीप आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।शिव गंगा साहित्य सेवा समिति के अध्यक्ष राजकुमार सोनी ने डा.अंबरीष अंबर के सम्मान एवं भव्य काव्य गोष्ठी सफलता हेतु प्रसन्नता व्यक्त की।गोष्ठी का संचालन कवि रवि अवस्थी ने किया।