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किन्नरों द्वारा मनमानी तरीके से नेग वसूली से समाज मे बढ़ती जा रही समस्या

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संवाददाता – पवन गुप्ता

सादुल्लानगर/बलरामपुर।उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जनपद सहित जनपद के अलग अलग थाना क्षेत्रो मे किन्नर शादी वाले,या बच्चा होने वाले परिवार की आर्थिक हालत भी नहीं देखते मनमानी रकम मांगते हैं कहीं ये रकम 51 हजार होती है तो कहीं एक लाख न देने पर ये परिवार से बदतमीजी करते हैं पुरानी चली आ रही परंपराओं के कारण लोग इनके श्राप से डरते हैं।चाहे कर्ज उठाएं या कुछ और करें पर इनकी मांग पूरी करनी पड़ती है।कई जगह मांग पूरी न होने पर झगड़े होते हैं,विवाद होता है सरकारी स्तर पर किन्नरों के रेट क्यों नहीं निर्धारित होते।किन्नरों ने मुहल्ले,कस्बा र्और सोसायटी में अपने सूचना तंत्र विकसित कर रखे हैं। पुलिस को भले ही अपराध की या किसी घटना की सूचना नहीं हो किंतु किस परिवार में कब शादी हुई है कब बच्चा हुआ है ये इन्हें पता होता है। परिवार शादी करके दुल्हन को लेकर पहुंचता है कि कुछ देर बाद ये आ धमकते हैं। ये नेग चौथ वसूली की तरह करते हैं। या तो परिवार इनकी मुंह मांगी रकम देता है,नहीं तो हंगामा और अपमान झेलता है। कमाई का अच्छा धंधा देख अब तो नकली किन्नर भी पैदा हो गए हैं। इनमें अब झगड़े मारपीट होने लगे हैं।शायद ही कोई परिवार होगा, जिसे किन्नर का आंतक न झेलना पड़ हो। इनकी चौथ वसूली का सामना न करना पड़ा हो।अब तो किन्नर मोटी रकम के साथ सोने के जेवर की भी मांग करने लगे हैं। बस, ट्रेन और रेड लाइट के चौराहों पर भी ये मांगते मिल जाते हैं। ट्रेन में भी कई बार अप्रिय स्थिति पैदा हो जाती है। हम सब रोजमर्रा की जिंदगी में यह होते देखते हैं पर चुप हो जाते हैं। किसी तरह अपना पीछा छुड़ाते हैं किंतु समाज की इस बड़ी समस्या की ओर गंभीरता से नहीं सोचते।इसका बड़ा कारण यह भी है कि अभी तक किन्नरों की शिक्षा और सामाजिक स्तर में सुधार के लिए कुछ नहीं हुआ।संसद तक मांग पहुंची।कानून बना। इससे आगे कुछ नहीं हुआ। जबकि इन पर काम होना चाहिए था। कुछ राज्यों ने किन्नर आयोग बनाए ये भी कागजों तक ही सीमित रहे। जाती कलाओं से जोड़ा जाता तो इनका स्तर भी सुधरता। ऐसा नहीं हुआ।इन्हें सांस्कृतिक नृत्य सिखाया जा सकता है। गायन और डांस ये जानते ही हैं यदि इनसे कव्वाली गवाई जाए तो इनकी खूब मांग होगी अभी तक पुरूष और महिला कव्वाल ही होते हैं,किन्नर भी कव्वाल बनें तो नई बात होगी। हमारे सामाजिक संगठन,एनजीओ भी इस समस्या से नजर मूंदे है lइसका बड़ा कारण यह भी है कि अभी तक किन्नरों की शिक्षा और सामाजिक स्तर में सुधार के लिए कुछ नहीं हुआ। जबकि इन पर काम होना चाहिए था।इनकी शिक्षा, प्रशिक्षक और जीवन स्तर सुधार के लिए सामाजिक संगठनों को लगाया जा सकता है। देश ने विधवा समस्या,बाल विवाह,बालिका भ्रूण हत्या जैसी समस्या पर काबू पा लिया,किंतु इस ओर किसी का ध्यान ही नहीं गया यही स्थिति बनी रही तो इन लोगों की मनमानी से आम जनता को इस समस्या से सामना करते रहना पड़ेगा लोगो ने प्रशासन से उम्मीद जताई है की इस समस्या को संज्ञान लेकर उचित कदम उठाये जिससे समाज के लिए बेहतर पहल होगा।

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