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डी एम और उनकी टीम के छापे में आंगनबाड़ी केंद्रों की खुल गई पोल

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रिपोर्ट शैलेन्द्र सिंह पटेल

मिर्जापुर । गरीब बच्चों के आहार पर डाका डालने वालों की कलई उस वक्त खुल गई जब जिलाधिकारी श्री प्रवीण कुमार लक्षकार के नेतृत्व में जिले के चारों तहसीलों, गांवों और जिला मुख्यालय के आंगनवाड़ी केंद्रों पर छापा मारा। जिसमें 17 अधिकारी और कर्मचारी अपने दायित्वों को धता बताकर स्कूली बच्चों की तरह गैरहाज़िर पाए गए जबकि तीन आंगनवाड़ी केंद्रों पर बड़े-बड़े ताले लटक रहे थे।

पोषाहार बेचे जाते हैं

विभाग में कुछ ऐसे मनबढ़ अधिकारी और केंद्रों की कार्यकर्त्तियाँ हैं, जो गरीब बच्चों का निवाला बाजार में बेचकर पैसा कमा लेती हैं।

जांच हो तो भेद खुल जाएगा

आंगनवाड़ी केंद्रों के वितरण रजिस्टर की जांच हो जाए तो भेद खुल जाएगा । बहुत से केंद्रों पर वितरण रजिस्टर या तो है नहीं और है भी तो आधा अधूरा। इसमें जिन लाभार्थियों को पोषाहार नहीं दिया गया, उनका या तो फर्जी हस्ताक्षर या अंगूठा निशान लगा लिया गया है।

कतिपय कार्यकर्त्तियाँ दुस्साहसी क्यों?

दुस्साहस के पीछे अपने अधिकारियों को हिस्सा देना और कतिपय दावा करती हैं कि वे अधिकारियों के घर खाना बनाती हैं लिहाज़ा उनका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता।

250/-में झंडा बेचा गया था

आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर कई कार्य-कर्त्तियों का कहना था कि 20×30सेमी का झंडा उन्हें 250/- रुपए में खरीदने के लिए बाध्य किया गया था। जबकि झंडा का मानक 50×75सेमी का था।
इन सारी स्थितियों को देखते हुए डी एम के छापे से लोगों को सुकून मिला है।

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