रामलला अपने घर में विराजमान हैं, इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है डां. कौशलेंद्र कृष्ण शास्त्री
1 min readरिपोर्ट -ब्यूरो चीफ
लखनऊ।श्री मद् भगवद् फाउंडेशन द्वारा आयोजित संगीतमय भागवत सतरिख रोड चिनहट लखनऊ में हो रही कथा में छठवें दिन की कथा में कहा कि परमात्मा ही परम सत्य है। जब हमारी वृत्ति परमात्मा में लगेगी तो संसार गायब हो जाएगा। प्रश्न यह है कि परमात्मा संसार में घुले-मिले हैं तो संसार का नाश होने पर भी परमात्मा का नाश क्यों नहीं होता। इसका उत्तर यही है कि भगवान संसार से जुड़े भी हैं और अलग भी हैं। आकाश में बादल रहता है। और बादल के अंदर भी आकाश तत्व है। बादल के गायब होने पर भी आकाश गायब नहीं होता। इसी तरह संसार गायब होने पर भी परमात्मा गायब नहीं होते। संसार की कोई भी वस्तु भगवान से अलग नहीं है।कथा व्यास कौशलेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के घरों से माखन चोरी की। इस घटना के पीछे भी आध्यात्मिक रहस्य है। दूध का सार तत्व माखन है। उन्होंने गोपियों के घर से केवल माखन चुराया अर्थात सार तत्व को ग्रहण किया और असार को छोड़ दिया।
प्रभु हमें समझाना चाहते हैं कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए असार यानी संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है।कथा व्यास कौशलेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बताया कि वास्तविकता में श्रीकृष्ण केवल ग्वाल-बालों के सखा भर नहीं थे, बल्कि उन्हें दीक्षित करने वाले जगद्गुरु भी थे। श्रीकृष्ण ने उनकी आत्मा का जागरण किया और फिर आत्मिक स्तर पर स्थित रहकर सुंदर जीवन जीने का अनूठा पाठ पढ़ाया। महराज जी ने बताया कि पांच सौ वर्षों के बलिदान का तप है मंदिर। भगवान राम का मंदिर बनाने के लिए लाखों लोगों ने बलिदान दिया है। यह देश के करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है। भगवान राम हिंदुओं के जीवन में रोल मॉडल की तरह माने जाते हैं। हमारे जीवनकाल में यह महत्वपूर्ण कार्य हो रहा है। इसके लिए हम बहुत बड़े भाग्यशाली है। कथा व्यास कौशलेंद्र कृष्ण शास्त्री कहा कि लगभग पांच सौ साल की तपस्या के बाद आज हम लोगों के लिए बहुत ही खुशी का दिन है। पूरा देश इस तारीख को हर बर्ष दीपावली के पर्व की तरह इस दिन को त्योहार के रूप में मनाया जायेगा। खूशबू दिनेशानंद ज्योतिष गुरू पंडित अतुल शास्त्री मुख्य यजमान राजेश पाठक नीतू पाठक राघव पाठक आदि लोगों उपस्थित रहे।