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पपीता व खरबूजा की सहफसली खेती से मालामाल होंगे किसान- डॉ. रामलखन

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रिपोर्ट – प्रमोद कुमार चौहान

गोंडा।पपीता एक महत्वपूर्ण फल की फसल है । इसकी खेती उत्तर प्रदेश के लगभग सभी क्षेत्रों में आसानी से की जा सकती है । इसके फल में विटामिन ए तथा विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाई जाती है । इसके नियमित सेवन से कब्ज एवं बवासीर रोग की समस्या से छुटकारा मिल जाता है । पपीता के कच्चे फलों का प्रयोग सलाद एवं सब्जी में तथा पके फलों का प्रयोग खाने में किया जाता है । इसके कच्चे फलों से रस निकालकर पेपेन नामक पदार्थ बनाया जात है । पेपेन का प्रयोग अल्सर आदि बीमारियों के नियंत्रण में किया जाता है ।
पपीता की खेती आर्थिक दृष्टि से बहुत लाभकारी है । प्रगतिशील कृषकों मान बहादुर सिंह एवं अरविंद सिंह ग्राम पचपुती जगतापुर विकासखंड मनकापुर जनपद गोंडा द्वारा पपीता के साथ खरबूजा की सह फसली खेती आधा एकड़ में करके अच्छी आय प्राप्त की गई है । मान बहादुर सिंह प्रगतिशील कृषक ने बताया कि मार्च के पहले सप्ताह में पपीता की रेड लेडी प्रजाति के पौधों की रोपाई पंक्ति से पंक्ति की दूरी 8 फीट तथा पौधा से पौधा के बीच की दूरी 6 फीट पर की गई । पौध रोपाई के समय 10 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद प्रति पौधा के साथ यूरिया, डीएपी, सिंगल सुपर फास्फेट एवं म्यूरेट आफ पोटाश का प्रयोग किया गया । रोपाई के समय पपीता की दो पंक्तियों के बीच खाली जगह में खरबूजा की एक पंक्ति की बुवाई की गई । तीन माह में खरबूजे की फसल से 50 कुंतल खरबूजा प्राप्त हुआ । खरबूजा से कुल आय सवा लाख रुपया प्राप्त हुई । रोपाई के साथ माह बाद सितंबर माह से पपीता में फल लगना शुरू हुए । जनवरी तक कुल 15 कुंतल पपीता की उपज प्राप्त हुई । पपीता की बिक्री से अभी तक कुल रुपया 45000 प्राप्त हुआ है । पपीता की फलत लगातार मिल रही है । पपीता एवं खरबूजा से अभी तक कुल आय रुपया पौने दो लाख प्राप्त हो चुकी है । आधा एकड़ में अभी तक कुल ₹ 50000 खर्च हुआ है । आधा एकड़ में कुल रुपया सवा लाख की शुद्ध आय प्राप्त हो चुकी है । इस प्रकार प्रति एकड़ सवा तीन लाख रुपया शुद्ध आय प्राप्त होगी । पपीता की फसल से 3 वर्ष तक लगातार फल प्राप्त किये जा सकते हैं । डॉ. रामलखन सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक शस्य विज्ञान कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर गोंडा,रोहित कुमार सिंह बीटीएम कृषि विभाग व सूरज सिंह ने मौके पर जाकर फसल को देखा तथा बताया कि पपीता की उन्नतशील प्रजातियों में रेड लेडी, रांची, कुर्ग हनीड्यू, पूसा डेलीशियस, पूसा ड्वार्फ आदि तथा संकर प्रजातियों में माधुरी, विनायक तथा मधुबाला आदि मुख्य हैं । इसकी बुवाई में प्रति एकड़ 200 ग्राम बीज की जरूरत होती है । पपीता व खरबूजा की सहफसली खेती अपनाकर किसान भाई मालामाल हो सकते हैं । मान बहादुर सिंह व अरविंद सिंह प्रगतिशील कृषकों द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर, उद्यान विभाग एवं कृषि विभाग से तकनीकी सलाह लेकर खेती की गई है ।

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