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बदलते मौसम के मिजाज ने बढ़ाई मरीजों की संख्या – डॉ सीपी सिंह

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रिपोर्ट – राम चरित्र वर्मा

उतरौला( बलरामपुर)अप्रैल की गर्मी ने इस बार पिछले कई वर्षों का रिकार्ड तोड़ दिया है। ऐसे में पड़ रही भीषण गर्मी के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। खासतौर से बच्चों की सेहत पर तपन भारी पड़ने लगी है।इन दिनों भीषण गर्मी से लोगों का हाल-बेहाल है। गर्मी के कारण न केवल मानव जीवन बल्कि जीव-जंतु भी प्रभावित हो रहे हैं। गर्मी के कारण इलाकों में पोखरे व तालाब सूखने से पशु पक्षी पानी के लिए परेशान हैं। तेज हवा व लू के चलते लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। मौसम में रोज हो रहे बदलाव के कारण न सिर्फ बच्चे-वृद्ध लू की चपेट में आ रहे हैं बल्कि तेज धूप के कारण दिनभर सड़कों पर सन्नााटा पसरा रहता है। वैसे तो बैशाख गर्मी का महीना होता है, लेकिन इस बार यह महीना कुछ ज्यादा ही तप रहा है। मौसम के बिगड़े मिजाज के कारण लोग खासे परेशान हैं। दोपहर के समय धूप की तपन से बदन में जलन महसूस हो रही है। रही-सही कसर लू के थपेड़े पूरी कर रहे हैं। जिससे दोपहर के समय सड़कें गहरे सन्नााटे में डूबी रहती हैं। केवल वे लोग ही घरों से बाहर निकल रहे हैं जिनके लिए घर से निकलना मजबूरी है। रात के तापमान से दिन में दोगुनी गर्मी का एहसास होने लगा है। लोगों की मानें तो अप्रैल में पिछले कई दशक में इतनी गर्मी नहीं हुई जितनी इस बार पड़ी है। पूर्व के वर्षों में किसी एक दिन तापमान अधिक होता था, इसके बाद तापमान में गिरावट आ जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा न होने से गर्मी असहनीय होती जा रही है।
वायरल फीवर, सर्दी, उल्टी-दस्त के केस बढ़े।तेज गर्मी व लू के असर से बड़ी संख्या में लोग वायरल फीवर, सर्दी-जुकाम, पेट दर्द, उल्टी-दस्त से पीड़ित हो रहे हैं। बीमारों में बच्चों और वृद्धों की संख्या अधिक है। जिससे सरकारी व निजी अस्पताल की ओपीडी में ऐसे मरीजों का इजाफा हुआ है। गांवों में लोग नीमहकीम व झोलाछाप डाक्टरों से इलाज कराने को मजबूर हैं। सीएचसी उतरौला के अधीक्षक डॉ सीपी सिंह का कहना है कि तेज गर्मी या बार-बार बदलते मौसम में बीमारियों से बचने के लिए सतर्कता जरूरी है। तेज धूप से बचाव के लिए गमछा, कैप, चश्मे का उपयोग करें। पूरी बाजू के सूती वस्त्र धारण करें। शरीर में पानी की कमी न होने दें। वायरल और पेट की गड़बडी से बचाव के लिये ताजा भोजन करें, संभव हो तो फलों का ज्यादा उपयोग करें। साथ ही खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें।गर्मी व लू से बचाव के लिए खूब पानी पिएं व खाली पेट न रहें, शराब व केफिन के सेवन से बचें, ठण्डे पानी से नहाएं, सर ढके व हल्के रंग के ढीले व पूरी बांह के कपड़े पहने, बच्चों को बंद वाहनों में अकेला न छोड़े, दिन में दोपहर 12 से शाम 04 के मध्य बाहर जाने से बचें, धूप में नंगे पाँव न चलें, बहुत अधिक भारी कार्य न करें। बाहर निकलना आवश्यक हो तो छतरी व धूप के चश्मे का उपयोग करें, धूप में निकलने से पहले कम से कम दो गिलास पानी अवश्य पिएं, बुखार व लू लगने पर निकट के अस्पताल में संपर्क कर आवश्यक दवा का उपयोग सुनिश्चित करें। O.R.S. का घोल, नारियल पानी, छाछ, नींबू पानी, फलों का रस इत्यादि का सेवन लाभदायक होता है।
बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत सीएचसी पर आकर समय से इलाज कराएं। नागरिकों से कहा गया है कि लू (तापघात) के लक्षण दिखाई देते ही निकट के अस्पताल में संपर्क कर आवश्यक दवा का उपयोग सुनिश्चित करें। बचाव के उपाय करें। ग्रीष्म ऋतु में लू लगने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। वृद्ध, बच्चे, खिलाड़ी, धूप में काम करने वाले श्रमिक सर्वाधिक खतरे में रहते हैं। पसीना न आना, गर्म-लाल एवं शुष्क त्वचा, मतली, सिरदर्द, थकान, चक्कर आना, उल्टियां होना, बेहोश हो जाना एवं पुतलियां छोटी हो जाना लू (तापघात) के प्रमुख लक्षण एवं संकेत हैं।

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