गाजर, घास जागरूकता सप्ताह मे दी गई जानकारी
1 min readकृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर गोंडा। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र मनकापुर गोंडा द्वारा आईटीआई परिसर में गाजर घास जागरूकता सप्ताह मनाया गया । इस अवसर पर गाजर घास के प्रति किसानों विद्यार्थियों आदि लोगों को सचेत किया गया । केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ मिथिलेश कुमार पांडेय ने गाजर घास को जैव विविधता के लिए अत्यंत खतरनाक बताया । डॉ केके मोर्य प्राध्यापक कृषि अभियंत्रण ने खेतों एवं बागों में उन्नतशील कृषि यंत्रों के द्वारा गाजर घास प्रबंधन, डॉक्टर पीके मिश्रा ने गाजर घास फूल आने से पहले गाजर घास प्रबंधन को जरूरी बताया । डॉ. रामलखन सिंह ने गाजर घास की पहचान एवं एवं कंपोस्टिंग, डॉ मनोज कुमार सिंह ने गाजर घास प्रबंधन हेतु औषधीय उपयोग, डॉ शशांक सिंह ने मत्स्य तालाबों में गाजर घास प्रबंधन, डॉ मनीष कुमार मौर्य ने जैविक विधि द्वारा गाजर घास प्रबन्धन, डाक्टर अजय बाबू सिंह ने गाजर घास से तैयार खाद मे पोषक तत्वों की जानकारी दी । गाजर घास जैव विविधता के लिए गंभीर खतरा है । इससे मनुष्यों में दमा, अस्थमा, एलर्जी आदि बीमारियों का प्रकोप होता है । जानवरों में त्वचा संबंधी रोग आदि रोग उत्पन्न हो जाते हैं । गाजर घास का जाईकोग्रामा नामक कीट के द्वारा जैविक प्रबंधन किया जाता है । गाजर घास प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय खरपतवार विज्ञान संस्थान जबलपुर द्वारा पूरे देश में परियोजना चलाई जा रही है ।