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शासन के सख्त निर्देश के बावजूद अस्पतालों में ओपीडी के समस्या चिकित्सक नहीं पहुंचते प्राइवेट क्लीनिक में मरीज देखते हैं

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रिपोर्ट -राहुल रत्न बलरामपुर

बलरामपुर जनपद मे आर्थोपेडिक सर्जन बोले मरीज को किलनिक पर लाओ सुबह 10:30 बजे के करीब आ तो पेडिक सर्जन उमेश कुशवाहा का चेंबर खाली था उसके इंतजार में बहुत सारे मरीज बैठे हुए थे पप्पू पद्य की बेटे का पैर टूट गया था वह उसे अस्पताल लेकर आए थे जब उन्होंने अथोपेडिक सर्जन डॉक्टर उमेश कुशवाहा से बात की तो उन्होंने कहा कि प्लास्टर अगर जल्दी बधंवाना है तो उसे क्लीनिक पर ले आओ वह किले को अस्पताल के बीच दौड़ भाग कर रहे थे डॉक्टर के इंतजार में बैठे मरीज ने बताया कि बहुत देर से डॉक्टर का इंतजार कर रहे हैं डॉक्टर मरीजों को अपने क्लीनिक पर बुलाते हैं अस्पताल से अच्छी आपकी इलाज की जाएगी प्राइवेट क्लीनिक पर।

बलरामपुर जिले में ओपीडी से गायब रहते हैं चिकित्सक मरीज परेशान आपको बता दें शासन के तमाम अपने देश के बावजूद अस्पताल में ओपीडी की समय मे चिकित्सा नहीं बैठते कई चिकित्सक अस्पताल के ओपीडी के समय में अपने प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को देखते हैं यह मामला नगर क्षेत्र में संचालित जिला मेमोरियल अस्पताल का है जहां के डॉक्टर शासन के निर्देश को नहीं मानते हैं यहां तैनात कई चिकित्सक अपनी प्राइवेट क्लीनिक चला रहे हैं यही कारण है कि वह समय से अस्पताल नहीं आते हालांकि CMS ने सभी को समय से ओपीडी करने का सख्त निर्देश दे रखा है लेकिन CMS का आदेश यहां बेअसर साबित हो रहा है मरीज परेशान है और डॉक्टर अपने प्राइवेट चिकित्सक में व्यस्त है मीडिया ने जिला मेमोरियल अस्पताल की पड़ताल की जिसमें सच्चाई सामने आई सुबह 10:30 बजे के करीब आर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर उमेश कुशवाहा का चेंबर खाली था डॉक्टर हैवान जो गुंडे के रूप में जाने जाते हैं उमेश कुशवाहा का चेंबर खाली था मरीज बैठे थे तड़प रहे थे इसी तरह से सर्जन डॉक्टर अजय कुमार पांडे कक्ष में ताला लगा हुआ था कई मरीज उनके आने का इंतजार कर रहे थे तो कई करो अपने चेंबर में नहीं थे कई मरीज उनके आने का इंतजार कर रहे थे मरीज ने बताया कि डॉक्टर साहब कभी भी 11:00 बजे के पहले नहीं मिलते हैं जब मिलते हैं तो अपने क्लीनिक पर आने का सलाह देते हैं वही इमरजेंसी में बैठे कई सर्जन व डॉक्टर फिजीशियन रमेश पांडे व कई डॉक्टर इमरजेंसी में बैठते हैं तो वहीं मरीज बोले इमरजेंसी में लिखी जाती है बाहर की दवाएं CMS के तहत हिदायत के बावजूद जिला मेमोरियल अस्पताल में तैनात डॉक्टर अपनी कार्यशैली की सुधार नहीं ले रहे हैं वहीं मरीजों का शोषण लगातार कर रहा है सोमवार की सुबह इमरजेंसी में डॉक्टर अजय कुमार पांडे की ड्यूटी थी मरीजों ने बताया कि डॉ हर दवाएं बाहर की लिख रहे हैं डॉक्टरों को दिखाने आए ग्रामीणों वह शहर के लोग आए तो बताने लगे कि अपने मरीज को लेकर इमरजेंसी में आए थे लेकिन इमरजेंसी में ड्यूटी कर रहे डॉक्टर ने उन्हें सभी जांच व दवाएं बाहर की लिख दी है जिसमें उन्हें भारी भरकम रकम चुकानी पड़ी है जबकि सीएमएस ने बाहर की जांच व दवा लिखने के लिए सख्त मना कर रखा है नगर क्षेत्र का प्रमुख अस्पताल होने के कारण यहां मरीजों की भारी संख्या होती है बावजूद इसके अस्पताल प्रशासन दवाओं की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है यह दवाई आती है तो कहां चली जाती हैं क्या ड्राइवरों की मिलीभगत से दवाओं को सस्ते दामों में भी बेच ली जाती है या डॉक्टर दवाएं अपने किलनिक पर उठा ले जाते हैं मेमोरियल अस्पताल में किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ता है चाहे वह डॉक्टर हो चपरासी हो किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है मेमोरियल अस्पताल में डॉक्टरों का आतंक जारी रहता है भी दिखाने आए मेमोरी अस्पताल में मरीजों को कहना है कि यहां डॉक्टर नहीं यहां तो गुंडे के रूप में जाने जाते हैं आवाज उठाने पर उन्हें प्रताड़ित किया जाता है वहीं मरीजों को साफ मना कर दिया जाता है दिखाना हो तो हमारे क्लीनिक पर आओ हम यहां नहीं देखेंगे तू वहां गरीब से गरीब सब लोग जाते हैं और वहां डॉक्टर ने अच्छे से अच्छा पैसा लेते हैं महंगे से महंगा दवा लिखते हैं अस्पताल प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई नहीं करता है अस्पताल के सीएमएस का कहना है कि ₹10 के स्टांम्प पेपर पर जिला मेमोरियल अस्पताल के CMS डॉक्टर.अशोक कुमार ने सभी चिकित्सकों से यह लिखवाया है कि वह कहीं पर भी प्राइवेट प्रेस्टिक नहीं करेंगे साथी ओपीडी के समय में अपने कक्ष में मौजूद रहेंगे कुछ चिकित्सकों ने स्टॉप पर लिखकर सीएमओ ने इस पर बात का वादा किया था लेकिन हकीकत यह है कि जिला मेमोरियल अस्पताल में तैनात चिकित्सक ने अस्पताल के सामने या उसके नजदीक अपनी क्लीनिक खोल रखी है इसके फिजीशियन व आर्थोपेडिक सर्जन शामिल है

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