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ड्राइविंग टेस्ट में आरआई के साथ रहते तीन लिपिक

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रिपोर्ट अशहद आरिफ

-: शाम सात बजे तक आरटीओ आफिस में रहते सिर्फ दलाल

गोण्डा। एक तरफ योगी सरकार द्वारा भ्र्ष्टाचार पर अंकुश लगाने हेतु बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ आरआई द्वारा सारे नियम कानून कायदे को दरकिनार किए जाने के बावजूद भी आरटीओ प्रशासन उमाशंकर यादव द्वारा कार्यवाही न किए जाने से कई सवाल पनप रहे हैं।
चर्चा तो यहां तक है कि संभागीय परिवहन कार्यालय में स्थित आरआई के कक्ष में प्रतिदिन सेटिंग-गेटिंग वाले कई पालतू दलाल जाकर अपने अपने कस्टमरों के ड्राइविंग लाइसेंस हेतु पत्रावलियां जमा करने के बाद ड्राइविंग टेस्ट इंस्टीट्यूट में जाकर गैर अनुभवी कस्टमरों का ड्राइविंग लाइसेंस बगैर टेस्ट के ही बनवाया जाता है। जिसके चलते उन्ही गैर अनुभवी चालकों द्वारा अपने वाहन को तेज रफ्तार से दौड़ाकर दुर्घटना को अंजाम दिया जाता है जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है। जबकि आरटीओ प्रशासन कहते हैं कि आरआई के सहयोग में मात्र 01 लिपिक रह सकता है परन्तु आरआई द्वारा टेस्ट के दौरान 03 लिपिक सहयोग के लिए रखे जाने से लग रहा है कि आरआई की पहुंच आरटीओ से अधिक है।
बताया जाता है कि यदि किसी को भी ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना हो या रजिस्टेशन कराना हो, या ट्रांसफर कराना हो या फिटनेस लेना हो इन सभी के लिए संबंधित लिपिकों द्वारा नियुक्ति किए गए चुनिंदा दलालों का सहयोग व उनके मनमाफिक शुल्क आवश्यक है। यदि कोई यह समझे कि बिना दलाल या घूस खिलाये बिना काम हो जाएगा तो यह मात्र कल्पना ही साबित होगी। चर्चा तो यहां तक है कि शाम 05 बजे के बाद जब सभी लिपिक अपने-अपने आवास चले जाते हैं तब कार्यालय में चुनिंदा दलालों द्वारा अपने कार्य को अंजाम दिया जाता है। कहानी यहीं खत्म नही होती, ड्राइविंग टेस्ट इंस्टीट्यूट में हो रहे टेस्ट के दौरान दलालों के मौजूदगी से किसी को कोई फर्क नही पड़ता परन्तु मीडिया कर्मियों की मौजूदगी उन्हें नागवार लगती है। बताया तो यहां तक जाता है कि बड़ी-बड़ी फेंकने वाला एक चाटुकार ऐसा भी है जो टेस्ट के दौरान वहां लगा रहता है और जब मीडिया कर्मी वहां नही होते हैं तब अपने आका को खुश करने के लिए मीडियाकर्मियों को अपशब्द कहकर अपने जेब का खर्च जुगाड़ कर लेता है और पुनः अगले दिन जुगाड़ हेतु पहुंच जाता है जो जांच का विषय है।

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