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मोहर्रम पर सुन्नी मुसलमान को दी सलाह न बजाये ढोल ताशा मौलाना मुस्तकीम

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रिपोर्ट – ब्यूरो बलरामपुर

*बलरामपुर* मोहर्रम के पहली अरबी तारीख को सोफीये बा सफा हजरत अल्लामा मोहम्मद मुस्तकीम आसवी बानी दारुल उलूम फैजाने आसी ग्राम सिराही पोस्ट शहबाजपुर थाना रिंगा जिला सीतामढ़ी बिहार से और मौलाना मुस्तकीम की साहबजादी आलिमा कारिया फाजिला सफफिया मुस्तकीम के आवास बलरामपुर में मोहर्रम पर खास बातचीत हुई। सोफी साहब का कहना हैं मजहबे इस्लाम का साल का पहला महीना मोहर्रम से सुरु होता हैं। और इस माह के दसवी तारीख को जिसको अशराह कहा जाता हैं। उस दिन इमामे हुसैन की शहादत हुई हैं। इन दिनों में कुछ लोग ढोल ताशा बजाया करते हैं। यह सख्त मनाही हैं। बल्कि हराम हैं। लोगो को इससे परहेज करना चाहिए। एक मोहर्रम से दसवी मोहर्रम तक इमामे हुसैन के नाम पर कुरआन खानी फातिहा नफिल ,रोज़ा और गरीबो को खाना खिलाना चाहिए मौलाना मुस्तकीम की साहबजादी आलिमा कारिया फाजिला सफफिया मुस्तकीम का कहना हैं की मोहम्मद सल्लाहु अलैहे वसल्लम अपने नवासे हसनैन करीमैन से बहुत मोहब्बत फरमाते और हुकुम दिया अपने उम्मती से की तुम भी इन से मोहब्बत करो। हुसैनो मिन्नी व अना मेनल हुसैन यानी हुसैन मुझसे हैं। और मैं हुसैन से हूँ। कत्ले हुसैन असल में मरेगे यजीद हैं, इस्लाम जिन्दा होता हैं हर कर्बला के बाद।

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